41. मल विसर्जन के वक्त इसमें असहनीय पीड़ा होती है तथा खून भी निकलता है इससे रोगी कमजोर हो जाता है।42. पर्यावरण जागरूकता-सार्वजनिक स्थानों, नदी, बगीचा और झील जैसी जगहों पर थूकना और मल विसर्जन नहीं करना चाहिए। 43. ' ' यह वास्तु सिद्धांत है कि, कभी भी पूर्व की तरफ मुंह या पीठ करके मल विसर्जन नहीं करना चाहिए। 44. लेकिन बड़े होने पर यह पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है, तब मल विसर्जन ऐच्छिक नियन्त्रण में होता है। 45. किसी को दिन में एक बार मल विसर्जन होता है तो किसी को दिन में २-३ बार होता है। 46. थोड़ा आगे बढ़ने पर एक प्रस्तर प्लेट्फॉर्म दिखता है जिसके किनारे पर बैठ कर कितने ही लोगों ने मल विसर्जन किया है. 47. छोटा बालक यदि गोद में मल विसर्जन कर कपडे खराब कर दे तो कहना ही पडता है कि ‘उसने गंदा कर दिया ' । 48. इसके लिए जल को मल विसर्जन द्वारा दूषित न होने दिया जाए. इसकेअतिरिक्त कच्ची व अधपकी मछलियों का सेवन कदापि न किया जाए. 49. इस रोग में मल विसर्जन तो होता है, पर वह संचित मल के नीचे एक पतली राह बना कर बाहर आता है। 50. 1-आंतांे में कीड़ों के काटने व उनके मल विसर्जन से सूजन आना, पेट में हल्का-हल्का दर्द, अजीर्ण, अपच, मंदाग्नि, गैस, कब्ज आदि का होना।