41. * गम्भारी की छाल 100 ग्राम व अनार के छिलके सुखाकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। 42. अडूसे के पत्ते और सफेद चंदन इनको बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लेना चाहिए। 43. अडूसे के पत्ते और सफेद चंदन इनको बार-बार मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लेना चाहिए। 44. निस्सादन (लेविगेशन) औषध को जल के साथ घोटकर सुखा लेना तथा उसका महीन चूर्ण तैयार करना। 45. ऐसा कई बार करने पर ऐसा द्रव मिल जाता है जिसमें वांछित महीन चूर्ण निलंबित रहता है। 46. ऐसा कई बार करने पर ऐसा द्रव मिल जाता है जिसमें वांछित महीन चूर्ण निलंबित रहता है। 47. पिप्पल्यादि चूर्ण: पिप्पली, नागरमोथा, काकड़ासिंगी, अतीस, चारों द्रव्य 50-50 ग्राम लेकर, कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। 48. अखरोट की गिरी, सिंघाड़ा, गोखरू का महीन चूर्ण प्रत्येक 7.5-7.5 ग्राम की मात्रा में लें। 49. 5 मुंह के छाले:-शहद के साथ अनन्तमूल की जड़ का महीन चूर्ण मिलाकर छालों पर लगाएं। 50. मुलेठी 50 ग्राम, सनाय 20 ग्राम और सोंठ 10 ग्राम को बारीक पीसकर महीन चूर्ण बना लें।