41. यूवी किरणें स्किन पिग्मेंट (मेलानिन ) के उत्पादन के लिए टर्बो चार्ज के रूप में भी काम करती हैं। 42. इस कोशिश मे वो ये भूल रहे हैं कि स्किन का रंग मेलानिन पिगमेंट कि वजह से होता हैं । 43. किसी व्यक्ति की त्वचा में “ मेलानिन ” की संख्या अधिक होने पर उसका रंग काला हो जाता है । 44. यानी ग्लूटाथायोन का सेवन करने से त्वचा में मेलानिन बनना कम होने लगता है और धीरे-धीरे त्वचा गोरी होती जाती है। 45. इसके विपरित जिस व्यक्ति की त्वचा में मेलानिन की संख्या कम होती है, तो उसका रंग गोरा होता है । 46. इसके अलावा यह तकनीक त्वचा में मौजूद मेलानिन एवं हीमोग्लोबिन की सटीक सांद्रता का पता लगाने में भी सहायता करती है। 47. वैसे, पिग्मेंटेशन की प्रॉब्लम मेलानिन ज्यादा होने की वजह से होती है और इसे पीलिंग से कंट्रोल किया जा सकता है। 48. मेलानिन जो त्वचा में जन्म से ही मौजूद होती है, उसे हम कृत्रिम रू? प से नहीं बदल सकते हैं।49. अत: यह स्पष्ट है कि त्वचा का रंग “ मेलानिन ” की मात्रा तथा इसकी उपस्थिति पर निर्भर करता है । 50. यह रंजक कण आपस में मिलकर त्वचा को रंग प्रदान करतें हैं, किन्तु इनमें मेलानिन की मुख्य भूमिका रहती है ।