41. शिवजी द्वारा तंडु नामक भूतगण को प्रदत्त तांडव तथा पार्वती देवी से प्रदत्त लास्य है। 42. मनोहररूप विकृत हो गया है सारा लास्य रौद्र और भयावह में परिणत हो गया- 43. लेकिन लास्य भी है, जो गिरावट में मनुष्य को निकम्मा बना देता है । 44. आप खाली लास्य ही लास्य करते रहिये, तो दस मिनट में बोर हो जायेंगे। 45. आप खाली लास्य ही लास्य करते रहिये, तो दस मिनट में बोर हो जायेंगे। 46. ताल प्रिय, ताल स्वरुप तथा लास्य और तांडव नृत्य को प्रकट करनेवाले है. 47. उपर्युक्त कथन से प्रमाणित होता है कि तांडव और लास्य के बीज वैदिक काल में थे। 48. उपर्युक्त कथन से प्रमाणित होता है कि तांडव और लास्य के बीज वैदिक काल में थे। 49. उपर्युक्त कथन से प्रमाणित होता है कि तांडव और लास्य के बीज वैदिक काल में थे। 50. शैव मत के आधार पर इस वृत्ति का संबंध तांडव से न होकर लास्य से है।