41. जिनको श्री रामजी के चरणकमल प्यारे हैं, उन्हें क्या कभी विषय भोग वश में कर सकते हैं॥ 4 ॥ 42. विषयों में उपार्जन, रक्षण, क्षय, संग, हिंसा दोष देखकर विषय भोग की दृष्टी से उनका संग्रह न करना अपरिग्रह हैं. 43. साधारण मनुष्य का जीवन संसार की नश्वर वस्तुओं को एकत्र करने तथा विषय भोग में ही समाप्त हो जाता है। 44. पर बाद में स्वभाववश कालपुरुष ने जीवात्मा को विषय भोग और माया (उसकी पत्नी) द्वारा फ़ँसा लिया । 45. अतृप्ति को बढ़ाना और अतृप्त बने रहना काम की नियति है-बुझैन काम अगिन करूँ तुलसी विषय भोग बहु घीतें।। 46. सहस्त्र वर्ष बीत जाने पर राजा को वैराग्य हो गया क्योंकि ' बुझे न काम अगिनि तुलसी कहुँ विषय भोग बहु घी ते।' 47. 4. उदार-उदार अवस्था में क्लेश सभी सहयोगी विषय भोग को प्राप्त करके अपना कार्य को क्रमबद्ध करता हैं. 48. घर संसारी ने जो संग किया (स्त्री की सोहबत की) वह विषय भोग नहीं है, ऐसा कोई नहीं कहेगा। 49. काम, सम्भोग, रति आदि का ज्ञान अनुचित विषय भोग को रोकने और उचित काम का नियम पूर्वक उपयोग करने के लिए है। 50. मैं अपनी यह हालत लगभग 20 वर्ष तक विषय भोग में लिप्त रहने के बाद प्रारम्भ किए गए ब्रह्मचर्य से हासिल कर सका हूँ।