41. शारद : वैसे इन्टरनेट कि दुनिया पर जब भी मैं बैठता हूँ तो आपको ऑनलाइन पता हूँ।42. शारद : आपको फेसबुक अच्छा नहीं लगता क्या? पंकज: बिलकुल नहीं सब बकवास करते हैं यहाँ।43. 10 वीं शताब्दी के आस पास “ कुटिल लिपि ” से ही “ शारद लिपि ” का विकास हुआ। 44. शारद : फेसबुक आपको बुरा लगता है फिर भी आप वहाँ हैं? पंकज: बस समय कि मांग है।45. उनके गुणगण तो ऐसे हैं कि शेष, महेश, गणेश, सनक, सनन्दन, नारद, शारद और व्रह्मादि विशारद गाते रहते हैं । 46. शारद : अभी हाल ही में अतिक्रमण पर इतना बवाल हुआ आप इसे किस नज़र से देखते हैं? पंकज: जो हुआ बुरा हुआ।47. शारद : जब मैंने बदलाव कि बात कि तो आपने कहा कि खुद से करना चाहिए तो आपने खुद में क्या-क्या बदलाव किया है?48. शारद : झारखण्ड में नक्सल एक भयानक समस्या है इससे कैसे निजात पाया जा सकता है? पंकज: मुझे नहीं लगता कि यह एक भयानक समस्या है।49. शारद : लेकिन यहाँ जितने भी बड़े घोटाले हुए उसमे आदिवासियों का ही हाथ है और था जैसे मधु कोड़ा? पंकज: मैंने कहा तो ये सिर्फ पोपटे हैं।50. शारद : आपने वैवास्था का विरोध करने कि बात कि तो मैं पूछना चाहूँगा कि इस स्थिति में बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के बारे में आपका क्या ख्याल है?