चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण-रोगी के सिर और दाढ़ी में दाद का बनना जिसमें बहुत ज्यादा पपड़िया सी बनती है, खुजली, छाजन जिनमें खुजली और जलन होती रहती है, शीतपित्त के कारण उत्पन्न फुंसियां आदि चर्मरोगों से सम्बंधित लक्षणों में काली सल्फ्यूरिकम औषधि का सेवन असरकारक रहता है।
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नीम की जड़ की ताजी छाल और नीम के बीजों की गिरी 10-10 ग्राम दोनों को अलग-अलग ताजे पत्तों के रस में पीसकर एकत्रकर मिला दें, जब यह उबटन (लेप) की तरह हो जाये, जब प्रयोग में लाने से शरीर की मैल, खुजली, दाद, वर्षा तथा गर्मी में होने वाली फुन्सियां, शीतपित्त, शारीरिक दुर्गन्ध तथा पसीने में अधिक गंध का आना आदि रोगों में लाभ मिलता है।
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-रक्त सम्बन्धी विकारों और शीतपित्त में बहुत लाभकारी.-लीवर सिरोसिस में इसकी साग लाभकारी.-आधा सिसी के दर्द में इसके बीजों की पावडर को पीसकर लेप बनाकर माथे पर लगाएं.-कील मुंहासों के लिए पनवाड़ के बीजों का चूर्ण और चन्दन मिला कर लगा ए.-सुजन उतारने के लिए बीजों का सेवन करें और इसके पत्तों से सिकाई करें.-गाँठ या फोड़े या सुजन पर पनवाड़ के पत्तों की पुल्टिस बना के लगा दे.
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