41. द्वारा मुक्त होता और संतत उत्सर्जन तभी होता है जब मुक्त इलेक्ट्रॉन का ग्रहण ( 42. संतत स्पेक्ट्रम की चमक बैंगनी में शीघ्रता से कम हो जाती है, जैसे सूर्यकलंक, स्वाती (43. संतत हम ऐसे वक्र या रचना को कहते हैं जो बीच में कहीं भी टूटती नहीं।44. इस सिद्धांत के अनुसार संतत अवशोषण तभी होता है जब कि बद्ध इलेक्ट्रॉन प्रकाशिक आयनन ( 45. तीन कणों में ऊर्जा विभाजन अनेकानेक भाँति हो सकता है, इसलिये संतत वर्णक्रम बन जाता है। 46. संतत स्पेक्ट्रम की चमक बैंगनी में शीघ्रता से कम हो जाती है, जैसे सूर्यकलंक, स्वाती (Arcturus)।47. तीन कणों में ऊर्जा विभाजन अनेकानेक भाँति हो सकता है, इसलिये संतत वर्णक्रम बन जाता है। 48. संतत हम ऐसे वक्र या रचना को कहते हैं जो बीच में कहीं भी टूटती नहीं।49. इनमें गरम द्रव का संतत प्रवाह किया जाता है तथा भभके में छिद्रयुक्त प्लेट लगे रहते हैं। 50. संतत स्पेक्ट्रम के सिद्धांत में बनी कल्पनाओं की सार्थकता की जाँच तक ही भावी शोध सीमित था।