41. इसके बाद सिफिलिस रोग की तीसरी अवस्था शुरू होती है जिसमें रोग शरीर के आंतरिक अंगों में और गहराई तक फैल जाता है। 42. पहली बार सिफि़लिस का संक्रमण होने के 20 से 30 वर्षों तक आपको बिना किसी लक्षण दिखे सिफिलिस का संक्रमण बना रह सकता है। 43. जब कुछ मानसिक रोगियों को सिफिलिस नामक यौन रोग का संक्रमण नहीं हुआ, तब उन्हें जानबूझकर इन रोगों को संक्रमित कर दिया गया। 44. सिफिलिस रोग में अन्य औषधि प्रयोग करने के साथ रोग में जल्दी लाभ के लिए बीच-बीच में इस औषधि का प्रयोग किया जाता है।45. सिफिलिस रोग में इस तरह के मानसिक लक्षण दिखाई देने पर ऑरम मेटैलिकम औषधि की 30 ‘ शक्ति का सेवन कराने से लाभ होता है।46. इस बीमारी के उपचार के लिए पेनिसिलिन जैसी एंटीबायोटिक मौजूद थीं लेकिन सिफिलिस के संबंध में उनकी उपयोगिता के बारे में किसी को पता नहीं था. 47. इस तरह माता-पिता के द्वारा बच्चे को सिफिलिस रोग होने पर बच्चों के विभिन्न अंग रोगग्रस्त हो सकते हैं जैसे-आंख, कान, लीवर आदि। 48. मोतियाबिन्द और भी अनेकों कारणों से होता है जैसे गठिया, वातरोग, सिफिलिस आदि और इनमें सुधार करके मोतियाबिन्द रोग से बचा जा सकता है। 49. अनुवांशिक कारणों से सिफिलिस रोग होने पर इन औषधियों का प्रयोग किया जा सकता है-मर्क-सौल औषधि की 30 शक्ति और क्रियोसोट औषधि की 30 शक्ति। 50. एक और रिसर्च के बारे में सुनिए-600 अश्वेत मरीज़ों को जो सिफिलिस (आतशक) से ग्रस्त थे, उन्हें दवाई ही नहीं दी गई।