थोड़ी देर मे रानी की सिसकिया रुकी तो उसने फिर से बहुत हल्के-2 धक्के लगाना शुरू कि ए. र ानी ने सिसकना छ्चोड़ हौले से आहे भरना शुरू किया तो ठुकराल समझ गया कि अब उसे मज़ा आने लगा है.
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|ठहरी सी, उलझी सी देहरी पर खड़ी है ज़िन्दगीकभी अन्दर पनपती थीआज बाहर सुलगती सी सिसकना भूलकर टूटते मकान के साथपीछे छूटते रिश्तो को ताकती छटपटाती, सीता अटपटे सवालो से झूझती,'कानून मेरे लिए? मैं कानून के लिए?या, मैं भी कानूनन ही हूँ, बस यूँ ही?'ना रोजी, ना रोटीऔर अब बाकी इंट पत्थर के निशाँ भी नहीं इस रामराज्य में, इंसान के कम कानून के सिपहसलार हैं कईं
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तन्हाई (अतुल शर्मा) जब हो हर तरफ तन्हाई रात हो घिर आई धीरे से तुम सिसकना मत चाँद से कुछ बातें करना मुस्कराना इठलाना गुदगुदाना और फिर प्यार से ग़मों को अपने भूल जाना देखोगे कि सुबह फैली हुई है अपनी सौगात लेकर रात की कालिमा को धोकर जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है इस से भागना नहीं अपने आगोश में पकड़ लेना प्यार बांटना गम नहीं मुस्कुराते रहना सिसकना रोना नहीं.
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तन्हाई (अतुल शर्मा) जब हो हर तरफ तन्हाई रात हो घिर आई धीरे से तुम सिसकना मत चाँद से कुछ बातें करना मुस्कराना इठलाना गुदगुदाना और फिर प्यार से ग़मों को अपने भूल जाना देखोगे कि सुबह फैली हुई है अपनी सौगात लेकर रात की कालिमा को धोकर जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है इस से भागना नहीं अपने आगोश में पकड़ लेना प्यार बांटना गम नहीं मुस्कुराते रहना सिसकना रोना नहीं.
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जब हो हर तरफ तन्हाई रात हो घिर आई धीरे से तुम सिसकना मत चाँद से कुछ बातें करना मुस्कराना इठलाना गुदगुदाना और फिर प्यार से ग़मों को अपने भूल जाना देखोगे कि सुबह फैली हुई है अपनी सौगात लेकर रात की कालिमा को धोकर जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है इस से भागना नहीं अपने आगोश में पकड़ लेना प्यार बांटना गम नहीं मुस्कुराते रहना सिसकना रोना नहीं. (‘ पतझड सावन वंसत बहार ' संकलन में प्रकाशित कविता)
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जब हो हर तरफ तन्हाई रात हो घिर आई धीरे से तुम सिसकना मत चाँद से कुछ बातें करना मुस्कराना इठलाना गुदगुदाना और फिर प्यार से ग़मों को अपने भूल जाना देखोगे कि सुबह फैली हुई है अपनी सौगात लेकर रात की कालिमा को धोकर जीवन निराशा की नहीं सुख की भाषा है इस से भागना नहीं अपने आगोश में पकड़ लेना प्यार बांटना गम नहीं मुस्कुराते रहना सिसकना रोना नहीं. (‘ पतझड सावन वंसत बहार ' संकलन में प्रकाशित कविता)
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१. चलती हूँ माँ मेरा वक्त हो चला है अपना खयाल रखना मेरी बेवक्त मौत पर ना सिसकना सिसक ही तो सकती हो तुम रोने की आज़ादी कहाँ है तुम्हें पिछली बार भी तुम हलक में दबा के आवाज़ को सिसकती रहीं थी घंटों और तुम्हारे ही अन्दर क़त्ल क़र दी गयी थी मैं बडी बेरहमी से माँ अच्छा अब चलती हूँ मेरा वक्त हो चला है क्यों सहलाती हो बार-बार अपलक निहारती हो निर्मोही बनो मोह ना करो मेरा वक्त हो चला है
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पर घर में पहले ही हैं एक जोड़ी आँखें फिर इन दो आँखों की और कैसे लूँ मुसीबत...? कहाँ रखूँ छुपाकर... कहाँ रखूँ....? तकिये के नीचे रख नहीं सकता रखते ही भिगो देगीं ये बिस्तर फेंक दो इन्हें, कौन देखता है, दूर फेंक दो बात-बात में सिसकना मानो आँखें न होकर कोई मोल ली आफत हो फिर भी मैं चाहता हूँ वो यहीं रहे मुसीबत के बीच भी मेरे साथ साथ न रहने पर भी गर तुम्हारा बोझिल ह्रदय हो जाता है हल्का....!!
सिसकना sentences in Hindi. What are the example sentences for सिसकना? सिसकना English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.