क्या शबाब था कि फूलफूल प्यार कर उठा, क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा, एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली, लुट गयी कलीकली कि घुट गयी गलीगली, और हम लुटेलुटे, वक्त से पिटेपिटे, साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
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क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा, क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठाइस तरफ जमीन और आसमां उधर उठा,थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,एक दिन मगर यहाँ,ऐसी कुछ हवा चली,लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली,और हम लुटे-लुटे,वक्त से पिटे-पिटे,साँस की शराब का खुमार देखते रहेकारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
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क्या शबाब था कि फूलफूल प्यार कर उठा, क्या सुरूप था कि देख आइना सिहर उठा,इस तरफ ज़मीन उठी तो आसमान उधर उठा,थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,एक दिन मगर यहाँ,ऐसी कुछ हवा चली,लुट गयी कलीकली कि घुट गयी गलीगली,और हम लुटेलुटे,वक्त से पिटेपिटे,साँस की शराब का खुमार देखते रहे।कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
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याद है दिवस की प्रथम धूप थी पडी़ हुई तुझ पर सुरूप, खेलती हुई तू परी चपल, मैं दूरस्थित प्रवास में चल दो वर्ष बाद हो कर उत्सुक देखने के लिये अपने मुख था गया हुआ, बैठा बाहर आँगन में फाटक के भीतर, मोढे़ पर, ले कुंडली हाथ अपने जीवन की दीर्घ-गाथ।
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याद है, दिवस की प्रथम धूप थी पड़ी हुई तुझ पर सुरूप, खेलती हुई तू परी चपल, मैं दूरस्थित प्रवास से चल दो वर्ष बाद, होकर उत्सुक देखने के लिए अपने मुख था गया हुआ, बैठा बाहर आंगन में फ़ाटक के भीतर मोढ़े पर, ले कुण्डली हाथ अपने जीवन की दीर्घ गाथ।
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क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा, क्या सुरूप था कि देख आईना सिहर उठा, इस तरफ ज़मीं उठी तो आसमान उधर उठा, थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा, एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली, लुट गई कली-कली कि घुट गई गली-गली, और हम लुटे-लुटे वक्त से पिटे-पिटे साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
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क्या शबाब था कि फूलफूल प्यार कर उठा, क्या सुरूप था कि देख आइना सिहर उठा, इस तरफ ज़मीन उठी तो आसमान उधर उठा, थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा, एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली, लुट गयी कलीकली कि घुट गयी गलीगली, और हम लुटेलुटे, वक्त से पिटेपिटे, साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
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क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा, क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा इस तरफ जमीन और आसमां उधर उठा, थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा, एक दिन मगर यहाँ, ऐसी कुछ हवा चली, लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली, और हम लुटे-लुटे, वक्त से पिटे-पिटे, साँस की शराब का खुमार देखते रहे कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।
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आप बगल में एक बंडल और दोनों हाथों में एक-एक सूटकेस तौलते हैं कि एक मधुर स्वर कहता है-“ एक मुझे दीजिए-” और आपके कुछ कहने से पहले एक सुरूप, सुवेश व्यक्ति आपके हाथ से एक सूटकेस ले लेता है-“ बस तक जावेंगे? '' बस पर पहुँचकर वह आपको धन्यवाद देने का अवसर न देकर कहता है-” हमारे देश में आपका प्रवास सुखद हो यह मेरी हार्दिक कामना है ''-और चल देता है।
सुरूप sentences in Hindi. What are the example sentences for सुरूप? सुरूप English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.