41. इसमे शक्तिसंपन्न हव्य को स्पष्ट करते हुये बताया गया की वह शक्तिसम्पन्न हव्य “वृषभां”-“बैल” नहीं बल्कि बलकारक& 42. शास्त्रो मे कहा गया है की देवता ब्राह्मण के मुख से ही हव्य और काव्य ग्रहण करते हैं । 43. यदि वे लोग श्राद्ध के अन्न को देख लेते हैं तो वह अन्न हव्य के लिए उपयुक्त नहीं रहता। 44. कौन-सा हव्य सदैव रहेगा? और वह क्या है जिसको यदि पेश किया जाए तो अनंत हो जाए? 45. कटते हैं मुण्ड करोड़ों के, काली त्योहार मनाती है मुर्दों का लेकर हव्य सभ्यता की देवी मुसकाती है 46. ब्रह्मपुराण के अनुसार हव्य से देवताओं का और कव्य से पितृगणों का तथा अन्न द्वारा बंधुजनों का स्वागत करना चाहिए। 47. मकर-संक्रान्ति के दिन यज्ञ में दिये हव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं। 48. बहुत गरीबी हो तो केवल पितरों का स्वरूप स्मरण करने से उनको पुत्र और पौत्र का हव्य प्राप्त हो जाता है। 49. आम तौर पर यज्ञ का तात्पर्य लोग अग्निकुंड में प्रज्वलित अग्नि में हव्य सामग्री की आहुति देने से लेते हैं । 50. हम उन्हें हव्य देंगे, तो उन्हें कैसे प्राप्त होगा? उन्हें तो सूक्ष्म हव्य चाहिए, तभी वे प्रसन्न होंगे ।