1. क्या वाद मे पक्षो के कुसंयोजन का दोष है? 2. याचिका पक्षकारों के कुसंयोजन से बाधित है। 3. मामले में कुसंयोजन का दोष है। 4. याचिका में आवश्यक पक्षकारों के असंयोजन तथा अनावश्यक पक्षकारों के कुसंयोजन का भी दोष है। 5. क्या प्रतिवादीगण वादीगण की वादग्रस्त दुकान से अवैधानिक रुप से क्या प्रकरण में कुसंयोजन एवं असंयोजन का दोष है? 6. क्या याचिका प्रश्नगत ट्रक के स्वामी एवं बीमा कम्पनी को गलत ढंग से पक्षकार बनाने से कुसंयोजन से त्रृटिपूर्ण थी? 7. विपक्षी सं04 बीमा कम्पनी द्वारा प्रतिवाद पत्र 32ख दाखिल कर कहा कि याचिका पक्षों के कुसंयोजन के कारण दूषित है। 8. वादी का वाद गलत व कुसंयोजन से दूषित होने से निरस्त किये जाने योग्य है अतः वाद सव्यय निरस्त किया जाए। 9. वाहन संख्या एच. आर. 56-7502 की दुर्घटना में कोई संलिप्तता नहीं रही है और इस प्रकार याचिका में पक्षकारों के कुसंयोजन का दोष है। 10. याचीगण द्वारा विक्रम स्वामी व विक्रम की बीमा कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया गया है जिस कारण याचिका पक्षों के कुसंयोजन के कारण दूषित है।