1. उनका वर्णन प्रत्यक्षज्ञान पर आधीरित होता है. 2. प्रत्यभिज्ञा-धाराप्रवाही प्रत्यक्षज्ञान को “प्रत्यभिज्ञा” कहा जाता है। 3. प्रत्यभिज्ञा-धाराप्रवाही प्रत्यक्षज्ञान को “प्रत्यभिज्ञा” कहा जाता है। 4. वे इस ज्ञान को प्रत्यक्षज्ञान और विचारप्रसूत ज्ञान दोनों से 5. न्याय के अनुसार प्रत्यक्षज्ञान सविकल्पकही होता है; निर्विकल्पक प्रत्यक्ष सविकल्पक प्रत्यक्ष कीपूर्वावस्थामात्र है. 6. किसी वस्तु का आकार, लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई आदि की जानकारी ही प्रत्यक्षज्ञान कहलाती है। 7. आदिवासी समाज में यह मूल्यवादिता उनके प्रत्यक्षज्ञान और प्रत्यक्षनुभूति के कारण आज भी जीवित है। 8. उन्होंने एक और महत्वपूर्ण बात कही थी, प्रत्यक्षज्ञान और शब्दज्ञान दोनों ही अस्थिर और अविश्वसनीय हैं। 9. किसी वस्तु का आकार, लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई आदि की जानकारी ही प्रत्यक्षज्ञान कहलाती है। 10. प्रत्यक्षज्ञान के स्वरूप को स्पष्टरूप में समझने की भावना से ३ विशेषण पद होते हैं जो निम्न प्रकार हैं।