1. राज्य पद पर बैठे सभी लोग एक जैसे नहीं हो सकते।2. यदि गुरु बलवान हो तो राज्य पद , धन, आयु का दाता होता है। 3. यही स्थिति छोटे से लेकर बड़े राज्य पद पर बैठे व्यक्ति की होती है। 4. एक तो यह कि गैरराजनतिक लोगों दो कारणों से ही राज्य पद त्यागते हैं। 5. उनकी विचार शक्ति हमेशा ही राज्य पद , पैसे और प्रतिष्ठा के इर्दगिर्द ही घूमती है। 6. यदि गुरु बलवान हो तो राज्य पद , धन, आयु का दाता होता है। 7. उनकी विचार शक्ति हमेशा ही राज्य पद , पैसे और प्रतिष्ठा के इर्दगिर्द ही घूमती है। 8. यही कारण है कि अधिकतर लोग राज्य पद पर प्रतिष्ठित होकर दूसरों पर नियंत्रण करने का सपना देखते हैं। 9. हनुमानजी ने सुग्रीव पर, विभीषण पर उपकार किया, उन्हें रामजी से मिला दिया, राज्य पद दिला दिया। 10. राज्य पद पर बैठा व्यक्ति कितना भी ईमानदार हो उसे सामंतों, सेठों और जमीदारों की भेंटे लेनी ही पड़ती है।