1. इन दोनों से पार तीसरा है लोकातीत जगत। 2. काव्य तो एक लोकातीत वस्तु है। 3. दोनों के लोकातीत स्वरूप दिखाया करे। 4. अरुणेश नीरन ने कहा कि उनका काव्यपाठ लोकातीत और अकल्पनीय होता था। 5. लोकातीत हो जाती है, मगर जब वह दिल के सहारे रची जाती है तब वह6. भी रहते हैं किन्तु वे उसमें आसक्ति न रखने के कारण लोकातीत अवस्था में पहुँच 7. उनके अनुसार, “जो लोकातीत और असंभव हैं वे वर्तमान काल के लोगों को स्वीकार नहीं हो सकते।” 8. कलावादियों के अनुसार कलाकार लोकोत्तर प्राणी, कला लोकातीत वस्तु तथा कलाजन्य आनंद अलौकिक आस्वादयुक्त एवं समाजनिरपेक्ष होता है। 9. कलावादियों के अनुसार कलाकार लोकोत्तर प्राणी, कला लोकातीत वस्तु तथा कलाजन्य आनंद अलौकिक आस्वादयुक्त एवं समाजनिरपेक्ष होता है। 10. इसके बाद जो इन्द्रियातीत धर्म है, सच्चाई है, लोकातीत धर्म है, उसका साक्षात्कार अपने आप हो जाता।