1. विकाररहित होनेके कारण यह अात्मा अविकारी कहा जाता है।2. अत: विकाररहित होनेके कारण यह अात्मा अविकारी कहा जाता है। 3. सत्त्वगुण निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकाररहित है। 4. सत्वगुण निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकाररहित होता है। 5. वास्तविक सत्ता केवल विकाररहित शुद्ध सच्चिदानंद ब्रह्म की ही है जिसमें सृष्टि न कभी हुई, न होगी। 6. वास्तविक सत्ता केवल विकाररहित शुद्ध सच्चिदानंद ब्रह्म की ही है जिसमें सृष्टि न कभी हुई, न होगी। 7. भावार्थ: यह आत्मा अव्यक्त है, यह आत्मा अचिन्त्य है और यह आत्मा विकाररहित कहा जाता है। 8. दिल्ली का कुतुब मीनार के करीब स्थित लौह स्तम्भ हजारों वर्षों बाद भी विकाररहित होकर स्थित है। 9. यह विकाररहित चिदानन्द, अणु से भी सूक्ष्म और महान् से भी विराट् है॥ ६ ३ ॥ 10. भावार्थ: यह आत्मा अव्यक्त है, यह आत्मा अचिन्त्य है और यह आत्मा विकाररहित कहा जाता है।