1. विभाजन-रेखा खींचते हैं, वह हमेशा मनमानी होती है।2. क्या दलित चिंतकों और दलित राजनीतिज्ञों के बीच कोई साफ विभाजन-रेखा है? 3. क्या दलित चिंतकों और दलित राजनीतिज्ञों के बीच कोई साफ विभाजन-रेखा है? 4. उनको सभी स्थितियों में “सही” और “ग़लत” की विभाजन-रेखा को परखने की आवश्यकता है। 5. “सही” और “ग़लत” की विभाजन-रेखा जीव-चेतना और मानव-चेतना के मध्य में ही होता है। 6. सह-अस्तित्व सहज अस्तित्व में कोई विभाजन-रेखा नहीं है-क्योंकि सह-अस्तित्व नित्य प्रभावी है। 7. इस सारी प्रक्रिया का अन्त अर्थात् जीवन और मृत्यु के बीच कोई विभाजन-रेखा नहीं है। 8. इन दोनों के बीच हम जो भी विभाजन-रेखा खींचते हैं, वह हमेशा मनमानी होती है। 9. राजनीतिक विभाजन-रेखा के दो परस्पर विरोधी छोरों पर खड़े लोगों ने इस पर सेन और लता से ‘ 10. वास्तव में ये दोनों परस्पर इतने घुले-मिले हैं कि इनके बीच स्पष्ट विभाजन-रेखा खींच पाना असंभव-सा है.