1. न बैठा पाने से प्रसूत अंतर्द्वंद्वों की सजीव प्रस्तुति 2. सजीव प्रस्तुति के लिए साधुवाद!-कहाँ मचा कोहराम नहीं।3. अत्यत सुन्दर और सजीव प्रस्तुति के लिए आपको बार-बार साधुवाद! सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी 4. आकाशवाणी की ओर से लगातार दूसरे माह शहरवासियों के लिए सजीव प्रस्तुति का... 5. अत्यत सुन्दर और सजीव प्रस्तुति के लिए आपको बार-बार साधुवाद! सद्भावी-डॉ ० डंडा लखनवी 6. जीवन के उतार-चढ़ाव की सजीव प्रस्तुति इसमें बड़े ही अनोखे तरीके से देखे जा सकते हैं. 7. किश्तों में मर रहा हर दिन आदमी, क्या कभी जिन्दा भी था!निराशावादी दौर की सजीव प्रस्तुति ! 8. डॅा 0 रमाकान्त शर्मा ने भी ‘ बुन्देलखंड जनपद की सजीव प्रस्तुति ' के लिए केशव की प्रशंसा की है। 9. अर्ल्स कोर्ट में एक सजीव प्रस्तुति , द डार्क साइड ऑफ़ द मून, 1973 में अपने जारी होने के शीघ्र बाद. 10. शाहिदा अहमद की ' खोया हुआ लम्हा ' नये परिवेश से तालमेल न बैठा पाने से प्रसूत अंतर्द्वंद्वों की सजीव प्रस्तुति है।