1. व्यक्तिवाद नहीं समूहवाद , संघवाद का विचार करें। 2. इसमें व्यक्तिवाद मिटता है और समूहवाद उभरता है ।। 3. गायत्री की शिक्षा समूहवाद की शिक्षा है। 4. में विभाजित थी और मुझे लगता था सर्वेाच्च अधिकृतियॉ समूहवाद में विष्वास 5. कैलविनवादी (विशेष रूप से सामूहिक शुद्धिवादी; समूहवाद से 1825 में विभाजन के समय एकतावादियों का साथ दिया) 6. यदि ऐसा कर सके तो हमें व्यक्तिवाद की तुच्छता छोड़कर समूहवाद की महानता ही वरण करनी पड़ेगी। 7. 309) व्यक्तिवाद के प्रति उपेक्षा और समूहवाद के प्रति निष्ठा रखने वाले व्यक्तियों का समाज ही समुन्नत होता है। 8. 309) व्यक्तिवाद के प्रति उपेक्षा और समूहवाद के प्रति निष्ठा रखने वाले व्यक्तियों का समाज ही समुन्नत होता है। 9. वसुधैव कुटुंबकम् का आदर्श अब समाजवाद, समूहवाद , संगठन, एकीकरण का विधान बन कर समय के अनुरूप कार्यान्वित होगा। 10. इधर का हिन् दी साहित् य ब्राहमणवाद, बर्चस् ववाद, जातिवाद, समूहवाद , क्षेत्रवाद, लिंगवाद का शिकार है।