1. इसके लिए दोनों केंद्रों पर एक से स्वरित्र द्विभुज ( 2. अनुनादी बक्से के उपर स्थापित स्वरित्र 3. विद्युत् के प्रभाव से स्वरित्र का दोलन स्थायी बना रहता है। 4. विद्युत् के प्रभाव से स्वरित्र का दोलन स्थायी बना रहता है। 5. इसके बाद आवृत्तिदर्शी को चलाकर स्वरित्र को विद्युत् द्वारा दोलित करते हैं। 6. इसके बाद आवृत्तिदर्शी को चलाकर स्वरित्र को विद्युत् द्वारा दोलित करते हैं। 7. किसी दोलतीय वस्तु, जैसे कंपित स्वरित्र (टयूनिंग फ़ार्क) की भी आवृत्तिसंख्या निकाली जा सकती है। 8. जब छिद्र स्पष्ट स्थिर दिखाई पड़ते हैं तो आवृत्तिदर्शी की भ्रमणसंख्या देखकर स्वरित्र की आवृत्तिसंख्या ज्ञात की जा सकती है। 9. जब छिद्र स्पष्ट स्थिर दिखाई पड़ते हैं तो आवृत्तिदर्शी की भ्रमणसंख्या देखकर स्वरित्र की आवृत्तिसंख्या ज्ञात की जा सकती है। 10. स्वर शक्ति का ही आश्रय लेकर आज का विज्ञान विविध दूर भाष संयंत्र एवं स्वरित्र आयाम आविष्कृत कर रहा है.