ऐसे में अधिनियम की धारा 20 के अधीन यही उपधारित किया जायेगा कि अभियुक्त ने उपर्युक्त राशि वैध पारिश्रमिक से भिन्न हेतु या इनाम के रूप में बतौर रिश्वत प्राप्त की है।
2.
ऐसे में यही उपधारित किया जायेगा कि इसने य ह राशि हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीका से प्राप्त की है, वहाँ इसे आरोपित अपराधों में दोषसिद्ध करार दिया जाए।
3.
इन परिस्थितियों में यह भी साबित हुआ नहीं पाया जाता है कि आरोपीगण ने भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से हेतु या इनाम के रूप में परिवादी से रिश्वत राशि ग्रहण कर अपने आधिपत्य में रखी हो।
4.
ऐसे में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत उपर्युक्त दोनों न्यायदृष्टान्तों में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर यही कहा जायेगा कि अभियुक्त ने परिवादी शैलेन्द्र सोलंकी से यह राशि हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त की है।
5.
इसने परिवादी लाभुराम से यह राशि क्यों प्राप्त की, इस सम्बन्ध में इसका कोई युक्तियुक्त, संभाव्य एवं प्रमाण आधारित सत्य स्पष्टीकरण या बचाव नहीं है, वहां अधिनियम की धारा 20 के अनुसार यह उपधारित किया जाएगा कि इसने परिवादी लाभुराम से यह राशि हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त की है।
6.
अभियुक्त ने उपर्युक्त परितोषण राशि की सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण ही नहीं दिया है, वहां अधिनियम की धारा 20 के अधीन यही उपधारित किया जायेगा कि इसने यह राशि हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त की है, इस कारण इसके विरूद्ध उक्त अधिनियम की धारा 7 का अपराध सिद्ध होता है।
7.
अभियुक्त मगाराम ने परिवादी मूलाराम से तीन सौ रूपये की आपराधिक प्रकरण सं0 61 / 2005-47-राज्य विरूद्ध मगाराम राशि क्यों प्राप्त की, इस सम्बन्ध में इसका कोई युक्तियुक्त व संभाव्य स्पष्टीकरण या बचाव नहीं है, वहां अधिनियम की धारा 20 अनुसार यही उपधारित किया जायेगा कि इसने परिवादी मूलाराम से यह राशि हेतु या इनाम के रूप में प्राप्त की है।
8.
" आया अभियुक्त दिनांक 5-1-2005 को कनिष्ठ अभियन्ता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लि. नागौर के पद पर लोक सेवक की हैसियत से कार्यरत रहते हुये परिवादी देवाराम से उसके मकान में बिजली का कनेक्शन करवाने की एवज में 800/-रूपये रिश्वत राशि की मांग कर इस प्रयोजनार्थ हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से दिनांक 5-1-2005 को चार सौ रूपये रिश्वत राशि प्राप्त कर आपराधिक दुराचरण किया?
9.
" आया अभियुक्त शिवनारायण ने भू-अभिलेख निरीक्षक, सिवाना के पद पर लोक सेवक की हैसियत से कार्य करते हुये परिवादी माधाराम से उसका निजी कुआ खसरा संख्या 198/4 में सरकारी जमीन नदी में खुदवाने के लिये पांच विस्वा भूमि लीज पर लेने के लिये आवेदन करने पर 1500/-रूपये रिश्वत राशि की मांग कर समदड़ी में हेतु या इनाम के रूप में भ्रष्ट एवं अवैध तरीके से प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?
10.
इस न्यायालय के समक्ष निर्धारण हेतु प्रश्न यह है कि क्या प्रकरण के अभियुक्त हुकमसिंह ने हल्का पटवारी पावली एवं अतिरिक्त प्रभार हलका पटवारी दोरड़ा (तहसील भीनमाल) के लोक सेवक के पद पर रहते हुये अभियोगी छैलसिंह से उसके भाई देवीसिंह के खेत का म्यूटशन भरवाने के एवज में हेतु या इनाम के रूप में वैध पारिश्रमिक से भिन्न 2000/-रूपये रिश्वत की मांग कर दिनांक 11-10-2002 को यह राशि प्राप्त कर आपराधिक अवचार किया?
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