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अभियोग-पत्र sentence in Hindi

pronunciation: [ abhiyoga-petr ]
"अभियोग-पत्र" meaning in English"अभियोग-पत्र" meaning in Hindi
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  • तब उसके द्वारा थाना-हनुमानगंज में इसकी रिपोर्ट की गई जिसे अपराध क्रमॉंक-645 / 07 अन्तर्गत धारा-379 भा. द. वि. के लेखबद्ध किया गया और प्रकरण में विवेचना की गई एवं विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
  • फरियादिनी द्वारा इसकी रिपोर्ट थाना-शाहजंहानाबाद में की गई जिसे अपराध क्रमॉंक-124 / 08 अन्तर्गत धारा-498-ए, भा. द. वि. के लेखबद्ध कर अपराध की कायमी कर प्रकरण में विवेचना की गई और विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
  • फरियादी के द्वारा थाना गोविन्दपुरा आकर घटना की रिपोर्ट की गई जिसे अपराध क्रमॉक-543 / 08 अन्तर्गत धारा-279,337 भा. द. वि. की प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर प्रकरण में विवेचना की गई और विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
  • उसके अनुसन्धान से अभियुक्त के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 13 (1) (डी) (2) के अपराध प्रकट होना पाये जिस पर उसने पत्रावली चौकी प्रभारी अर्जुनसिंह को सौपी जिन्होंने इस मामला का अभियोग-पत्र तैयार कर न्यायालय में पेश किया।
  • पी. डब्ल्यू. 12 अर्जुनसिंह राजपुरोहित वर्ष 2002 में पुलिस उप अधीक्षक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो चौकी, सिरोही के पद पर रहते हुये इस मामला की अनुसन्धान पत्रावली मिलने पर इसका अभियोग-पत्र तैयार कर इसकी पत्रावली पुलिस उप अधीक्षक परबतसिंह को सौपना मात्र कहता है।
  • पी. डब्ल्यू. 23 चतुरसैन ने विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर मामला का अभियोग-पत्र दर्ज करवाया जिसने यह स्वीकार किया कि उसने प्रथम सूचना रिपोर्ट भेजने से पूर्व किसी प्रकार की जांच नहीं की और मौका पर जाकर कोई निरीक्षण भी नहीं किया।
  • कविता कोई आचार-संहिता नहीं है, जिसे एक अवांछित समाज में अभियोग-पत्र की तरह चला दिया जाय या जिसे यह पेशेवर अधिकार मिल गया हो कि जीवन और यथार्थ के आरोपित अंतरालों की, सांस्कृतिक भरपाई करने की क्षमता उसे मिल गयी हो.
  • प्रकाशसिंह बादल उनके पुत्र सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत् नी पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) और भ्रष् टाचार नियंत्रण अधिनियम की धारा 13 के तहत अभियोग-पत्र दाखिल भी किया जा चुका है।
  • आरोपी / अपीलार्थी को गिरफ्तार किया जाकर अन्य आवश्यक विवेचना पूर्ण करने के उपरांत अधीनस्थ न्यायालय में अपीलार्थी/आरोपी के विरूद्ध अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें विचारण उपरांत अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपीलार्थी/आरोपी 25 आयुध-अधिनियम के अधीन दण्डनीय अपराध के आरोप में उपरोक्तानुसार सिद्धदोष पाते हुये दण्डित किया गया।
  • आरोपी / अपीलार्थी को गिरफ्तार किया जाकर अन्य आवश्यक विवेचना पूर्ण करने के उपरांत अधीनस्थ न्यायालय में अपीलार्थीग/आरोपी के विरूद्ध अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें विचारण उपरांत अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपीलार्थीग/आरोपी को धारा-380भादंस. के अधीन दण्डनीय अपराध के आरोप में उपरोक्तानुसार सिद्धदोष पाते हुये दण्डित किया गया।
  • इसके बाद प्रार्थी ने थाना-बैरागढ़ घटना की रिपोर्ट की जिसे अपराध क्रमॉंक-470 / 04 अन्तर्गत धारा-294,323,506 भा. द. वि. की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर अपराध की कायमी की गई और प्रकरण में विवेचना की गई तथा विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
  • पी. डब्ल्यू. 22 भगवतसिंह जुलाई, 2004 में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो चौकी, जोधपुर के पद पर रहते हुये प्रकरण के अभियुक्त रामचन्द्र को पुलिस उप अधीक्षक महावीरप्रसाद के माध्यम से गिरफतार करवाकर फिर इस मामला का अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करना कहते है।
  • घटना की रिपोर्ट फरियादी ने थाना टी. टी. नगर में की गई जिसे अपराध क्रमॉंक-39/94 अन्तर्गत धारा-379 भा. द. वि. की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर अपराध की कायमी की गई और प्रकरण में विवेचना की गई एवं विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
  • फरियादी द्वारा घटना की रिपोर्ट थाना जहॉंगीराबाद में की गई जिसे अपराध क्रमॉंक-193 / 08 अन्तर्गत धारा-457,380 भा. द. वि. का पंजीबद्ध कर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर अपराध की कायमी की गई और प्रकरण में विवेचना की गई एवं विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
  • फरियादी ने घटना की रिपोर्ट थाना टी. टी. नगर में की गई जिसे अपराध क्रमॉंक-951/94 अन्तर्गत धारा-379 भा. द. वि. की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर अपराध की कायमी की गई और प्रकरण में विवेचना की गई एवं विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
  • (एन. एस. मीणा) प्रथम व्य0 न्या0 वर्ग-1 के प्रथम अति0 न्या0, भोपाल (म0 प्र0) प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य हैं कि सह अभियुक्त मनोज सक्सैना अभियोजन प्रकरण हैं कि प्रार्थी लोकेश कुमार गुप्ता 6, चर्च रोड, पूर्व से फरार हैं तथा उसकी अनुपस्थिति में ही अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया हैं।
  • उसके द्वारा घटना की थाना-हनुमानगंज में रिपोर्ट की गई जिसे अपराध क्रमॉक-511 / 02 अन्तर्गत धारा-294,323,506 भा. द. वि. की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर अपराध की कायमी की गई और प्रार्थी का मेडीकल कराया गया एवं प्रकरण में विवेचना की गई तथा विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
  • प्रार्थी द्वारा घटना की थाना-जहॉंगीराबाद में रिपोर्ट की गई जिसे अपराध क्रमॉक-440 / 08 अन्तर्गत धारा-294,324,506 भा. द. वि. की प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर अपराध की कायमी की गई और प्रार्थी का मेडीकल कराया गया एवं प्रकरण में विवेचना की गई तथा विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
  • अन्त में इसने इस बात को गलत बताया कि पंचायत समिति के सम्पूर्ण अभिलेख से यह साबित था कि सम्पतराज ने पंचायत के प्रस्ताव अनुसार परिवादी मोहनसिंह से पट्टा की फीस व भेंट-चन्दा के पैसे लिये और इसके बावजूद उसने अभिलेख की अनदेखी करके इसके विरूद्ध उपर्युक्त मामला का झूठा अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया हो।
  • उक्त घटना चौकीदार रामचरण ने देखी हैं, इस घटना की लिखित रिपोर्ट थाना परवलिया सड़क में प्रार्थी द्वारा की गई जिस पर से आरोपीगण के विरूद्ध अपराध क्रमॉक-40/93 अन्तर्गत धारा-353,186 भा. द. वि. की प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर प्रकरण में विवेचना की गई और विवेचना उपरान्त यह अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
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