अम्ल पित्त sentence in Hindi
pronunciation: [ amel pitet ]
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- शरीफा आसानी से हजम होने वाला और अल्सर व अम्ल पित्त के रोग में ज्यादा लाभकारी होता है।
- अग्निमंदता, वायु शूल, यकृत विकार, अम्ल पित्त आदि में इसका प्रयोग सफलता से होता है ।
- काम दूधा रस: रक्त पित्त, अम्ल पित्त, वमन, पित्त वृद्धि, भ्रम आदि पित्त विकारों में लाभकारी।
- (३) आँतों को ताकत देता है (४) गैस एवं अम्ल पित्त (एसिडिटी) में आराम दिलवाता है.
- उत्तर-संजय जी, जैसा की आपने लिखा है इससे ज्ञात होता हे की आपको केवल अम्ल पित्त {एसीडिटी} है।
- आयुर्वेदिक मतानुसार भी यह वातानुलोमक होने से उदर शूल में, मधुर होने से आमाशयगत अम्लाधिक्य व अम्ल पित्त में लाभकर होती है ।
- क्या आप तनावग्रस्त रहते हैं, आपका खान-पान नियमित नहीं है या आप दिन भर काम में व्यस्त रहते हैं, तो आपको एसीडिटी यानी अम्ल पित्त की शिकायत हो सकती है।
- पांडू रोग अम्ल पित्त शोष (सूखा), गुल्म(पेट आदि में गांठ बढ़ जाना) तथा उदर रोग, अतिसार(पतले दस्त आना), ज्वर, दाह, सोजन, इनमे दूध को ही पथ्य कहा गया है.
- (३) अम्ल पित्त में-ताजा आँवला मिश्री के साथ या स्वरस 25 ग्राम सम भाग शहद के साथ प्रातः-सायं देने पर खट्टी डकारें अम्लाधिक्य की शिकायतें दूर हो जाती हैं ।
- एसीडिटी (अम्ल पित्त)-अनार रस और मूली का रस समान मात्रा में लेकर उसमें अजवायन, सैंधा नमक चुटकी भर मिलाकर सेवन करने से अम्ल पित्त बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
- एसीडिटी (अम्ल पित्त)-अनार रस और मूली का रस समान मात्रा में लेकर उसमें अजवायन, सैंधा नमक चुटकी भर मिलाकर सेवन करने से अम्ल पित्त बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
- यह छूत का रोग है, इसके निश्चित कारण अज्ञात हैं पर नमक, मिर्च, मीठे का अति सेवन, दिन में या ज्यादा सोने, कृमि रोग, अनेक मनोविकारों, अम्ल पित्त तथा अनूर्जता के कारण यह रोग बार-बार होता रहता है।
- अतः कई बार अम्ल की कम वृद्धि और उष्ण कीअधिक वृद्धि हो तो भी अम्ल पित्त निदान होगा, परन्तु ऐसी दशा में ःय्पेरचिडिट्य्नहीं भी मिल सकती है, अतः ःय्पेरचिडिट्य् या ःय्पेर्च्ह्लोर्ह्य्ड्रिअ अम्लपित्त कापर्याय न बनकर एक अवस्था बनती है.
- सेवन विधि और लाभ * जिनको अम्ल पित्त, पित्त प्रकोप और उदर में ज्यादा गर्मी होने की तथा पेट में जलन होने की शिकायत हो, मुँह में छाले होते रहते हों, आँखों और पेशाब में जलन हुआ करती हो, उन्हें ठण्डाई का सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए।
- कुछ स्थितियों में वर्जि त * यदि रोगी पित्त प्रकोप (एसिडिटी) या अम्ल पित्त (हायपर-एसिडिटी) से पीड़ित हो, आंखों में लाली रहती हो, पेट में अल्सर हो, शरीर की उष्णता बढ़ी हुई रहती हो और किसी भी अंग में जलन होती हो तो ऐसी अवस्था ठीक न होने तक उसे शिलाजीत का सेवन नहीं करना चाहिए।
- परन्तु ध्यान रखें इस उपाय को कभी भूलकर भी अत्यंत कमजोर या दुर्वल लोग, थके होने की स्थिति मे, बहुत भूखा होने की स्थिति में, अम्ल पित्त या एसीडिटी के मरीज सेवन न करें अच्छा रहेगा कि आप किसी वैद्य या बी. ए. एम. एस. डा. से सलाह भी ले लें।
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