आचारांग sentence in Hindi
pronunciation: [ aachaaraanega ]
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- जैनों के सबसे प्राचीन एवं अबोधगम्य ‘ आचारांग सूत्र ' पर संस्कृत भाषा में भाष्य लिखकर आचार्य महाप्रज्ञ ने प्राचीन परंपरा को पुनरुज्जीवित किया है।
- अंगबाह्य-महान आचार्यों द्वारा अल्पबृद्धि, अल्पायु और अल्पबल वाले शिष्यों के अनुग्रह के लिए आचारांग आदि बारह अंगों के आधार पर रचे गये संक्षिप्त ग्रंथों को अंगबाह्य कहते हैं।
- इनके नाम ये हैं-आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग, भगवती सूत्र, ज्ञाताधर्मकथा, उपासक दशांग, अंतकृत् दशांग, अनुत्तोरोपपातिक दशांग, प्रश्न व्याकरण, विपाकश्रुत, हृष्टिवाद ।
- प्रमाण देते समय लेखक ने धवला में कषायपाहुड, आचारांग आदि 27 ग्रन्थों के नाम निर्देशपूर्वक उद्धरण दिये हैं * तो वहीं पर पचासों ग्रन्थों की गाथाओं और गद्यांशों आदि को ग्रन्थनाम बिना भी उद्धृत किया है।
- यह भी कहा गया है कि उन्होंने प्रवृजित होने पर सामायिक धर्म ग्रहण किया था और पश्चात् केवलज्ञानी होने पर छेदोपस्थापना संयम का विधान किया (आचारांग २, १ ५, १ ० १ ३) ।
- अन्तिम जैन तीर्थंकर भगवान महावीर के माता-पिता तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की सम्प्रदाय के अनुयायी थे-ऐसा जैन आगम (आचारांग ३, भावचूलिका ३, सूत्र ४ ० १) में स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
- अंग-प्रविष्ट के आचारांग आदि ठीक वे ही द्वादश ग्रन्थ थे, जिनका क्रमशः लोप माना गया है, किन्तु जिनमें से ग्यारह अंगों का श्वेताम्बर परम्परानुसार वीरनिर्वाण के पश्चात् १ ० वीं शती में किया गया संकलन अब भी उपलभ्य हैं।
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