उमर बिन खत्ताब sentence in Hindi
pronunciation: [ umer bin khettaab ]
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- हिज्रत करके मदीना आई और रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के देहांत तक आप के साथ थीं और उमर बिन खत्ताब के शासन में देहांत हुआ।
- जैनब (रज़ी अल्लाहु अन्हा) बहुत ज़्यादा दानशील थीं, सन 20 हिज्री में आप का देहांत हुआ और उमर बिन खत्ताब (रज़ी अल्लाहु अन्हु) ने नमाज़े जनाज़ा पढ़ाया।
- उमर बिन खत्ताब (जो मुहम्मद सल्ल 0 के देहांत के पश्चात दूसरे महान शासक हुए) इस्लाम स्वीकार करने से पूर्व मुहम्मद सल्ल 0 के कट्टर शत्रु थे।
- जैनब (रज़ी अल्लाहु अन्हा) बहुत ज़्यादा दानशील थीं, सन 20 हिज्री में आप का देहांत हुआ और उमर बिन खत्ताब (रज़ी अल्लाहु अन्हु) ने नमाज़े जनाज़ा पढ़ाया।
- अब्दुल्लाह ने उत्तर दिया, बैशक इस व्यक्ति का पिता उमर बिन खत्ताब का मित्र था और मैं ने नबी स 0 अ 0 व 0 स 0 को फरमाते हेतू सुना है।
- 8-माँ बेटी से एक साथ सम्भोग “ याह्या बिन मलिक की रवायत है कि उबैदुल्ला इब्न उतवा इब्न मसूद ने कहा कि उमर बिन खत्ताब ने जिहाद में एक माँ और बेटी को पकड़ लिया.
- इब्न अब्बास ने कहा, कि मेरे साथ उमर बिन खत्ताब, और अब्दुर्रहमान बिन ऑफ बैठे हए थे, उमर ने मुझ से कहा कि मैं आपका सम्मान करता हूँ, क्योंकि आपका दर्जा ऊंचा है.
- यह अहमद और अबदाऊद की एक रिवायत है, और दलील की दृष्टि से यही राजेह है, और इब्नुल मुंज़िर ने इसे चयन किया है, और इसके समान उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णन किया है।
- तथा बैहक़ी ने सहीह इसनाद के साथ उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा: ” मुश्रेकीन के त्योहारों में उनके चर्चों में उनके पास न जाओ, क्योंकि उन पर क्रोध बरसता है।
- मस्जिद का फिर से निर्माण खलीफाओं ने करवाया था, जिसका विवरण इस तरह है, 6-मंदिर की जगह मस्जिद का निर्माण जब सन 638 उमर बिन खत्ताब खलीफा था, तो उसने यरूशलेम की जियारत की थी.
- तथा एक अन्य कहानी में वर्णित है कि उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु को सूचना मिली कि कुछ लोग उस पेड़ के पास आते हैं जिसके नीचे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से बैअत की गई थी तो आप ने उसके बारे में आदेश दिया तो उसे काट दिया गया।
- अल्लाह की सर्व प्रशंसा और गुण्गान है कि हमारे पास हिजरी तारीख (हिजरी केलेंडर) है जिसे हमारे लिए अमीरूल मोमिनीन खलीफा-ए-राशिद उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु ने मुहाजिरीन और अंसार सहाबा की उपस्थिति में निर्धारित किया था, और यह हमें अन्य तिथियों (केलेंडर) से बेनियाज़ कर देता है।
- अब्दुल्लाह बिन हिशाम रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है वह कहते हैं कि: हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ थे और आप उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु के हाथ को पकड़े हुये थे, तो उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! मेरी जान के सिवाय आप मुझे हर चीज़ से अधिक प्रिय हैं।
- अब्दुल्लाह बिन हिशाम रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है वह कहते हैं कि: हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ थे और आप उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु के हाथ को पकड़े हुये थे, तो उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! मेरी जान के सिवाय आप मुझे हर चीज़ से अधिक प्रिय हैं।
- उन्हीं में से कुछ एक अवधि तक जनाबत (अपवित्रता) की अवस्था में ठहरे रहे, नमाज़ नहीं पढ़ी, और उन्हें तयम्मुम के द्वारा नमाज़ पढ़ने के जाइज़ होने का ज्ञान नहीं था जैसे-अबू ज़र्र, उमर बिन खत्ताब और अम्मार रज़ियल्लाहु अन्हुम जब वह जुनबी हो गए, और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनमें से किसी को भी क़ज़ा का हुक्म नहीं दिया।
- इन सभी बातों की ताकीद (पुष्टीकरण) उस हदीस से होती है जो सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम में अमीरूलम मोमिनीन उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: “ जब रात यहाँ से आ जाए और दिन यहाँ से चला जाए और सूरज डूब जाए तो रोज़ेदार के इफतार का समय हो गया।
- फिर जब उमर रज़ियल्लाहु अन्हु खलीफा बने तो सुफयान बिन वह्ब ने उमर बिन खत्ताब के पास पत्र लिख कर उस के बारे मे पूछा, तो उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने जवाब लिखा: अगर वह अपनी मधुमक्खियों का जो उश्र नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को दिया करते थे, तुम्हें अदा करें तो उन के लिए सलबा को सुरक्षित कर दो, अन्यथा वह बारिश की मक्खियाँ हैं जो चाहे उसे खाये।
- अल्लाह तआना ने प्रत्येक कार्य पर पुण्य रखा है जबकि मानव अपने उस कार्य पर केवल अल्लाह को प्रसन्न करने की नीयत करता है, उमर बिन खत्ताब (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि मैं ने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फरमाते हुए सुना, निः संदेह कर्मों संकल्प (हृदय की ईच्छा) पर आधारित है और प्रति व्यक्ति के संकल्प के आधार पर अच्छे या बुरे कर्मों का बदला मिलेगा ……… (सही बुखारीः)
- जिसे उमर बिन खत्ताब से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” जो बाज़ार में प्रवेश होता है तो यह दुआः ” ला इलाहा इल्लल्लाह वह्दहु ला शरीक लहु, लहुल्मुल्कु व लहुल्हम्दु युह्यी व युमितु व हुव हय्युन ला यमूतु, बियदेहिल्खैर व हुव अला कुल्लि शैइन क़दीर ” पढ़ता है, तो अल्लाह तआला उस के लिए हज़ार हज़ार नेकी लिख देता है और उस से हज़ार हज़ार बुराइ मिटा देता है और उस के हज़ार हज़ार पद बढ़ा देता है।
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