गणित विद्या sentence in Hindi
pronunciation: [ ganit videyaa ]
"गणित विद्या" meaning in English"गणित विद्या" meaning in HindiSentences
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- क्योंकि इन मन्त्रों के अर्थ और अनेक प्रकार के प्रयोगों से मनुष्यों को अनेक प्रकार की गणित विद्या अवश्य जाननी चाहिये ।
- जिसे अरबी गणित विद्या के आधार पर बेनकाब किया जा रहा है अरबी में अल्लाह शब्द में चार अक्षर हैं, अलिफ़, लाम, लाम और हे.
- सो यह ३ प्रकार की गणित विद्या के अनेक मन्त्रों से आर्यों ने वेदों से ही सिद्ध की है और इसी आर्य्यावर्त्त देश से सर्वत्र भूगोल में गयी है।
- सो यह ३ प्रकार की गणित विद्या के अनेक मन्त्रों से आर्यों ने वेदों से ही सिद्ध की है और इसी आर्य्यावर्त्त देश से सर्वत्र भूगोल में गयी है।
- अंक, बीज और रेखा भेद से जो तीन प्रकार की गणित विद्या सिद्ध की जाती है, उनमें से प्रथम अंक(१) जो संख्या है, सो दो बार गणने से २ की वाचक होती है।
- अंक, बीज और रेखा भेद से जो तीन प्रकार की गणित विद्या सिद्ध की जाती है, उनमें से प्रथम अंक (१) जो संख्या है, सो दो बार गणने से २ की वाचक होती है।
- लेख में ईश्वर को दुखी, लाचार और मिथ्यावादी, क्रूर, कपटी और रामायण को जातिवाद पोषक चिंतन की जहरीली पोथी, ज्योतिष को गणित विद्या का कलंक, वैदिक युग को पशुयुग और ब्राह्मण को धर्म का स्वयंभू ठेकेदार कहा गया है।
- अर्थात अल्लाह के गुप्त नामों के अक्षरों के संख्यात्मक मूल्य का योग 11 से विभाजित होने वाला होगा, 9-अल्लाह का गुप्त नाम बर्बाद और भयानक अरबी गणित विद्या के अनुसार अल्लाह के दो गुप्त नाम ' खराब और हलाक ” निकलते हैं.
- और जो कि वेदों का अंक ज्योतिषशास्त्र कहाता है (आज का कथित फलित ज्योतिषशास्त्र नहीं), उसमें भी इसी प्रकार के मन्त्रों के अभिप्राय से गणितविद्या सिद्ध की है और अंकों से जो गणित विद्या निकलती है, वह निश्चित और संख्यात पदार्थों में युक्त होती है।
- थोड़े समय में अरस्तू तथा अफ़लातून की दर्शन की पुस्तकें, नव-अफ़लातूनी टीकाकारों की व्याख्याएँ, जालीनूस (गालेन) की चिकित्सा संबंधी पुस्तकें, गणित विद्या में निपुण उकलैदितस (युक्लिद) तथा बतलीमूस (प्तोलेमी) की पुस्तकें तथा ईरान और भारत को वैज्ञानिक तथा साहित्यिक पुस्तकें अनुवादों द्वारा अरबों के अधिकार में आ गई।
- और जो कि वेदों का अंक ज्योतिषशास्त्र कहाता है (आज का कथित फलित ज्योतिषशास्त्र नहीं), उसमें भी इसी प्रकार के मन्त्रों के अभिप्राय से गणितविद्या सिद्ध की है और अंकों से जो गणित विद्या निकलती है, वह निश्चित और संख्यात पदार्थों में युक्त होती है।
- उनके संबंध में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने ' कवि वचन सुधा ' (२ ३ अगस्त १ ८ ७ ३) में यह जानकारी दी है कि उन्होंने हिंदी भाषा में ' सरल त्रिकोणमिति ' उस समय तक प्रस्तुत कर दी थी और हिंदी भाषा में गणित विद्या की पूरी श्रेणी बनाने के काम में जुट गए थे।
- सभी यह जानते हैं कि गणित में शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत ने किया है किन्तु यह आंशिक सत्य है क्योंकि गणित विद्या का मूल (कारण) वेदों में है जिसमें न केवल शून्य से लेकर ९ तक सभी प्राकृतिक अंको का वर्णन है वरन अंक गणित, बीज गणित और रेखा गणित सभी गणित विद्या के ३ आधार ईश्वर ने हमको दिये हैं।
- सभी यह जानते हैं कि गणित में शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत ने किया है किन्तु यह आंशिक सत्य है क्योंकि गणित विद्या का मूल (कारण) वेदों में है जिसमें न केवल शून्य से लेकर ९ तक सभी प्राकृतिक अंको का वर्णन है वरन अंक गणित, बीज गणित और रेखा गणित सभी गणित विद्या के ३ आधार ईश्वर ने हमको दिये हैं।
- सभी यह जानते हैं कि गणित में शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत ने किया है किन्तु यह आंशिक सत्य है क्योंकि गणित विद्या का मूल (कारण) वेदों में है जिसमें न केवल शून्य से लेकर ९ तक सभी प्राकृतिक अंको का वर्णन है वरन अंक गणित, बीज गणित और रेखा गणित सभी गणित विद्या के ३ आधार ईश्वर ने हमको दिये हैं।
- सभी यह जानते हैं कि गणित में शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत ने किया है किन्तु यह आंशिक सत्य है क्योंकि गणित विद्या का मूल (कारण) वेदों में है जिसमें न केवल शून्य से लेकर ९ तक सभी प्राकृतिक अंको का वर्णन है वरन अंक गणित, बीज गणित और रेखा गणित सभी गणित विद्या के ३ आधार ईश्वर ने हमको दिये हैं।
- जप के पश्चात दशांश हवन कर पुनः सरस्वती जी को प्रणाम निवेदन करके कहें कि हे भगवती मां तुम्हीं स्मरण शक्ति, ज्ञान शक्ति, बुद्धि शक्ति, प्रतिभा शक्ति और कल्पना शक्ति स्वरूपिणी हो, तुम्हारे बिना गणित विद्या के पारखी भी किसी प्रकार के विषय की गणना करने में समर्थ नहीं है एवं माता आप कालगणना की संख्या स्वरूपिणी हो अतएव तुम्हें बारंबार प्रणाम करते हैं।
- (शेष अगले भाग में) गणित विद्या और शून्य का आविष्कार सभी यह जानते हैं कि गणित में शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत ने किया है किन्तु यह आंशिक सत्य है क्योंकि गणित विद्या का मूल(कारण) वेदों में है जिसमें न केवल शून्य से लेकर ९ तक सभी प्राकृतिक अंको का वर्णन है वरन अंक गणित, बीज गणित और रेखा गणित सभी गणित विद्या के ३ आधार ईश्वर ने हमको दिये हैं।
- (शेष अगले भाग में) गणित विद्या और शून्य का आविष्कार सभी यह जानते हैं कि गणित में शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत ने किया है किन्तु यह आंशिक सत्य है क्योंकि गणित विद्या का मूल(कारण) वेदों में है जिसमें न केवल शून्य से लेकर ९ तक सभी प्राकृतिक अंको का वर्णन है वरन अंक गणित, बीज गणित और रेखा गणित सभी गणित विद्या के ३ आधार ईश्वर ने हमको दिये हैं।
- (शेष अगले भाग में) गणित विद्या और शून्य का आविष्कार सभी यह जानते हैं कि गणित में शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत ने किया है किन्तु यह आंशिक सत्य है क्योंकि गणित विद्या का मूल(कारण) वेदों में है जिसमें न केवल शून्य से लेकर ९ तक सभी प्राकृतिक अंको का वर्णन है वरन अंक गणित, बीज गणित और रेखा गणित सभी गणित विद्या के ३ आधार ईश्वर ने हमको दिये हैं।
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