गोपीनाथ कविराज sentence in Hindi
pronunciation: [ gaopinaath keviraaj ]
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- श्री गोपीनाथ कविराज ने लिखा है कि ईसाई द्वितीय शतक से लेकर द्वादश शतक तक भारत में बौध्दमत का प्रमुख स्थान रहा है।
- श्री गोपीनाथ कविराज ने लिखा है कि ईसाई द्वितीय शतक से लेकर द्वादश शतक तक भारत में बौध्दमत का प्रमुख स्थान रहा है।
- उनके एक प्रसिद्ध भक्त गोपीनाथ कविराज ने लिखा है कि एक बार वे सिद्धियों के बारे में उन्हें (गोपीनाथ कविराज को) समझा रहे थे।
- उनके एक प्रसिद्ध भक्त गोपीनाथ कविराज ने लिखा है कि एक बार वे सिद्धियों के बारे में उन्हें (गोपीनाथ कविराज को) समझा रहे थे।
- इस महाविद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य संस्कृत प्राध्यापक जे म्योर, आई.सी.एस थे। इनके बाद जे.आर.बैलेन्टियन, आर.टी.एच.ग्रिफ़िथ, डॉ.जी.थेवो, डॉ.आर्थर वेनिस, डॉ.गंगानाथ झा और गोपीनाथ कविराज हुए।
- भारतेन्दु, प्रेमचंद, प्रसाद, रामचंद्र शुक्ल, गोपीनाथ कविराज, जयदेव सिंह, धूमिल, हजारी प्रसाद द्विवेदी मेरे ही कुल-खानदान के हैं।
- एगोरक्षसिध्दांतसंग्रह (गोपीनाथ कविराज संपादित) ' नाद ' और ' बिंदु ' के योग से जगत् की उत्पत्ति सिद्ध और हठयोगी दोनों मानते थे।
- भारत में भी योगी अरविन्द, महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज, डॉ 0 राधाकृष्णन आदि का चिंतन इस दिद्गाा में हमारा अच्छा मार्ग दर्द्गान करता है।
- उनके एक प्रसिद्ध भक्त गोपीनाथ कविराज ने लिखा है कि एक बार वे सिद्धियों के बारे में उन्हें (गोपीनाथ कविराज को) समझा रहे थे।
- उनके एक प्रसिद्ध भक्त गोपीनाथ कविराज ने लिखा है कि एक बार वे सिद्धियों के बारे में उन्हें (गोपीनाथ कविराज को) समझा रहे थे।
- यद्यपि इस उद्धरण को कुछ विद्वान प्रक्षिप्त मानते हैं, फिर भी इसकी चर्चा म.म. गोपीनाथ कविराज जैसे अनेक आधुनिक विद्वानों ने भी सहमतिपूर्वक की है।
- गोपीनाथ कविराज काफी दिनों तक वाराणसी में रहे और बाद में वे कोलकाता के पास मध्यमग्राम नामक इलाके में बस गए और अंतिम समय तक वहीं रहे।
- गोपीनाथ कविराज काफी दिनों तक वाराणसी में रहे और बाद में वे कोलकाता के पास मध्यमग्राम नामक इलाके में बस गए और अंतिम समय तक वहीं रहे।
- हम आइंसटाइन को तो जानते हैं लेकिन गोपीनाथ कविराज और उनके गुरू के बारे में नहीं जानते जो समय की और ज्यादा सटीक परिभाषा करते हैं.
- साथ ही उच्चकोटि के साधक एवं स्वनामधन्य विद्वान महामहोपाध्याय पंडित गोपीनाथ कविराज की तात्विक भूमिका लेखन ने इसे पाठकों के लिए और भी सुबोध एवं कल्याणप्रद बना दिया है।
- महामहोपाध्याय पंडित गोपीनाथ कविराज महाशय ने मुझे भू-पर्यटन के समय आशीर्वाद देते हुए कहा था, ‘ यदि संभव हो तो तुम अपनी तिब्बत यात्रा पर पुस्तक अवश्य लिखना।
- Balloon title = “ न्यायपरिचय पृ. 72. ” style = color: blue > * / balloon > == श्रीधर विरचित ग्रन्थ == गोपीनाथ कविराज के मतानुसार श्रीधर ने चार ग्रन्थ लिखे थे।
- मैं अपना नाम अ-पंडितों में लिखाना मान लूंगा, परंतु कविता की भाषा या गद्य की ही भाषा ऐसी न चाहूंगा, जिसके समझने के लिए पं0 गिरधर शर्मा चतुर्वेदी या पंडित गोपीनाथ कविराज के पास जाना पड़े।
- प्राच्य विद्या के विशेषज्ञ डा. गोपीनाथ कविराज के अध्ययन भारतीय संस्कृति साधना शब्दों में आज की शोध प्रक्रियाएँ जिन्हें विज्ञान की विभिन्न शाखा-उपशाखाओं का समूह कहले विश्लेषण करने में समर्थ बुद्धि की उपज है ।
- महामोपाध्याय गोपीनाथ कविराज ने (Gleeanings from the Tantras) की भूमिका में यह लिखा है कि भक्त दो प्रकार के हुए हैं-एक वे जो भक्ति को केवल भावरूप से जानते हैं और दूसरे वे जो रस रूप से उसकी अनुभूति करते हैं।
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