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धर्म के लक्षण sentence in Hindi

pronunciation: [ dherm k leksen ]
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  • ियों को वश मे रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।
  • उः धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, पवित्रता, सत्य, क्रोध न करना, निर्भयता-ये सब धर्म के लक्षण हैं।
  • गीता श्लोक 10. 4-10.5, 18.42 की बातें मनुस्मृति में 6.92 सूत्र में कही गयी हैं जो धर्म के लक्षण के लिए बताई गयी हैं ।
  • इस तरह धर्म के लक्षण को पकड़ा, धर्म पकड़ में आया नहीं!बाबा: नित्य-कर्म लक्षण हैं या धर्म? हम जो कर्म करते हैं, वे लक्षण हैं या धर्म हैं?
  • धीर अर्थात धैर्य, विद्या अर्थात सुगम बोध का सामर्थ्य, सत्यम अर्थात सत्य का पालन, अक्रोधो अर्थात क्रोध न करना. ये दश ही धर्म के लक्षण है.
  • [18] 17वीं सदी के धर्मजागरणकर्ता उपदेशक और धर्मशास्त्री जोहनाथन एडवर्ड्स के अनुसार, धार्मिक आसक्ति प्यार से संबंधित उसके एक ग्रंथ में परमेश्वर के लिए आभार, और कृतज्ञता सच्चे धर्म के लक्षण हैं.
  • सोचना), शौच (स्वच्छता मन, बुध्धि एवम शरिर कि), इन्द्रियों को वश मे रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।)
  • इस युग में बहस इस बात पर होनी चाहिये कि धर्म के लक्षण क्या हैं और धार्मिक आधार पर टकराव समाप्त करने के लिये किसी सार्वभौमिक धर्म की कल्पना की जा सकती है क्या?
  • धर्म के लक्षण हरेक भाषा की किताब में लिखे हुए हैं और वे सत्य, न्याय, उपकार और क्षमा आदि हैं कि अगर इन्हें अपना लिया जाए तो आदमी की मेंटलिटी क्राइम फ़्री हो जाएगी।
  • मनु महाराज ने अपने प्रसिद्घ ग्रंथ मनुस्मृति में धर्म के लक्षण दस बताये हैं जबकि भगवान कृष्ण ने गीता के तेरहवें अध्याय में अर्जुन को समझाते हुए ज्ञानी पुरूष के बीस लक्षण बताये हैं-अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम्।
  • (धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, शौच (स्वच्छता), इन्द्रियों को वश मे रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।
  • (धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, शौच (स्वच्छता), इन्द्रियों को वश मे रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।)
  • ियों को वश मे रखना), धी (बुद्धिमत्ता का प्रयोग), विद्या (अधिक से अधिक ज्ञान की पिपासा), सत्य (मन वचन कर्म से सत्य का पालन) और अक्रोध (क्रोध न करना) ; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।
  • परम आदरणीय श्री दयानंद जी, सादर सप्रेम नमस्ते! हमे आपके यह विचार जान कर घोर आश्चर्य हुआ? आप यह सूत्र कहाँसे तलाश करके ले आये? धर्म किसे कहते है? धर्म के लक्षण क्या है?
  • (मनुस्मृति ६.९२) (धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, शौच (स्वच्छता), इन्द्रियों को वश मे रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।
  • ९ २) (धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, शौच (स्वच्छता), इन्द्रियों को वश मे रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।
  • आमतौर पर, गर्भावस्था के प्रारंभिक लक्षण बहुत समान या भी पीएमएस या पूर्व मासिक धर्म के लक्षण के रूप में लगभग एक ही हो सकता है, एक शर्त है जो दुनिया भर में कई महिलाओं को सामना करना पड़ता है हो सकता है.
  • अब वे कौन से कर्म हैं जो मनुष् यों को करने चाहियें और कौन से कर्म नहीं करने चाहियें, इस विषय पर महर्षि मनु महाराज ने उन कर्मों को ' धर्म के लक्षण ' नाम दिया है-” धृतिः क्षमा दमोऽस् तेयं शौचमिन् िद्रयनिग्रहः।
  • दुसरे के साथ वही व्यवहार करो, जो अपने लिए भी पसंद आये ” जब सभी मनुष्य इस एक मात्र सूत्र को अपना लेंगे तब काफी समस्याए दूर हो जाएँगी १ मनुस्मृति का ६/९२ वाला श्लोक जिसमे धर्म के लक्षण कहे गए है, उसको भी अपनाना चाहिए धृति,
  • धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो, दसकं धर्म लक्षणम ॥-मनु (धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, शौच (स्वच्छता), इन्द्रियों को वश मे रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ; ये दस धर्म के लक्षण हैं ।
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