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प्रतीत्यसमुत्पाद sentence in Hindi

pronunciation: [ pertiteysemutepaad ]
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  • एक अन्य व्याख्या के अनुसार प्रतीत्यसमुत्पाद शाश्वत और उच्छेद सदृश परस्पर विरुद्ध अंतों का वर्जन करनेवाली मध्यम प्रतिपद् है।
  • बौद्ध मानते है कि ईश् वर की सत्ता नहीं है यह ब्रह्मांड ' प्रतीत्यसमुत्पाद ' नियम से चलता है।
  • अत: समस्त कुदृष्टि जालों का उच्छेद करने वाली तथा परमार्थसत्ता का निषेध करने वाली प्रधान युक्ति प्रतीत्यसमुत्पाद ही है।
  • इस मध्यम मार्ग की व्यवस्था उन्होंने अन्य बौद्धों की भाँति प्रतीत्यसमुत्पाद की अपनी विशिष्ट व्याख्या के आधार पर की है।
  • बुद्ध मत का मूल प्रतीत्यसमुत्पाद है जो जीवन और जगत के अविच्छिन्न प्रवाह को मानता है, यह परिवर्तनवाद है।
  • प्रतीत्यसमुत्पाद के नियम के अनुसार ये पांच स्कन्ध ही सन्तान रूप में मरणभव से उपपत्तिभव पर्यन्त विस्तार को प्राप्त करते हैं।
  • प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत कहता है कि कोई भी घटना केवल दूसरी घटनाओं के कारण ही एक जटिल कारण-परिणाम के जाल में विद्य
  • प्रतीत्यसमुत्पाद की इस शून्यवादी व्याख्या के बाद ईश्वर का निषेध करने वाले बुद्ध को ही ईष्वर बना दिया गया, वे भी अवतारी हो गये।
  • प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत कहता है कि कोई भी घटना केवल दूसरी घटनाओं के कारण ही एक जटिल कारण-परिणाम के जाल में विद्यमान होती है ।
  • प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत कहता है कि कोई भी घटना केवल दूसरी घटनाओं के कारण ही एक जटिल कारण-परिणाम के जाल में विद्यमान होती है ।
  • प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत कहता है कि कोई भी घटना केवल दूसरी घटनाओं के कारण ही एक जटिल कारण-परिणाम के जाल में विद्यमान होती है ।
  • रात्रि के प्रथम याम में उन्होंने पूर्वजन्मों की स्मृति रूपी प्रथम विद्या, द्वितीय याम में दिव्य चक्षु और तृतीय याम में प्रतीत्यसमुत्पाद का ज्ञान प्राप्त किया।
  • गौतम ने मिथ्या ज्ञान की निवृत्ति और अपवर्ग में जो कारण-कार्य संबंध बताया है [11] वह बुद्ध के प्रतीत्यसमुत्पाद के सिद्धांत का आंशिक अनुकरण मालूम होती है।
  • चार आर्यसत्य, अनित्यता, दु: खता, अनात्मता क्षणभङ्गवाद, अनात्मवाद, अनीश्वरवाद आदि बौद्धों के प्रसिद्ध दार्शनिक सिद्धान्त इसी प्रतीत्यसमुत्पाद के प्रतिफलन हैं।
  • प्रतीत्यसमुत्पाद: प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत कहता है कि कोई भी घटना केवल दूसरी घटनाओं के कारण ही एक जटिल कारण-परिणाम के जाल में विद्यमान होती है।
  • प्रतीत्यसमुत्पाद: प्रतीत्यसमुत्पाद का सिद्धांत कहता है कि कोई भी घटना केवल दूसरी घटनाओं के कारण ही एक जटिल कारण-परिणाम के जाल में विद्यमान होती है।
  • भगवान बुद्ध ने जिस सापेक्षता के इदम्प्रत्ययतारूप, कारणतावाद के सिद्धांत प्रतीत्यसमुत्पाद का प्रतिपादन किया था, उसके बारह अंक हैं, जिन्हें भवाङग भी कहते हैं।
  • बुद्ध दर्शन के मुख् य तत्व: चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण।
  • गौतम ने मिथ्या ज्ञान की निवृत्ति और अपवर्ग में जो कारण-कार्य संबंध बताया है [11] वह बुद्ध के प्रतीत्यसमुत्पाद के सिद्धांत का आंशिक अनुकरण मालूम होती है।
  • अनेक गुणों के विद्यमान होते हुए भी आचार्यों ने बड़ी श्रद्धा और भक्तिभाव से ऐसे भगवान बुद्ध का स्तवन किया है, जिन्होंने अनुपम और अनुत्तर प्रतीत्यसमुत्पाद की देशना की है।
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