भैरव प्रसाद गुप्त sentence in Hindi
pronunciation: [ bhairev persaad gaupet ]
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- 1982 में जनवादी लेखक संघ के स्थापना सम्मेलन में भैरव प्रसाद गुप्त अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे और चंद्रबली सिंहमहासचिव।
- 1982 में जनवादी लेखक संघ के स्थापना सम्मेलन में भैरव प्रसाद गुप्त अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे और चंद्रबली सिंह महासचिव।
- हिंदी समय में भैरव प्रसाद गुप्त की रचनाएँ उपन्यास गंगा मैया सती मैया का चौरा कहानियाँ आप क्या कर रहे हैं?
- भैरव प्रसाद गुप्त, शानी, अमरकान्त आदि के पत्र भी मुझे मिले और निबंधों की भी सघन और व्यापक पहचान बनी।
- दूसरी तरफ, प्रगतिशील लेखक संघ के लोग थे, जिसमें मैं, कमलेश्वर, मार्कण्डेय, भैरव प्रसाद गुप्त आदि थे।
- उसी बलिया के दूधनाथ सिंह और अमरकांत से लेकर शेखर जोशी, उपेंद्र नाथ अश्क, भैरव प्रसाद गुप्त आदि से संपर्क रहा।
- तो, असल जो सक्रियता आयी वह भैरव प्रसाद गुप्त जी के ” माया ” छोड़कर ” कहानी ” पत्रिका में आने से।
- कालान्तर में भैरव प्रसाद गुप्त के सम्पादन में प्रकाशित ” नई कहानियाँ ” पत्रिका में वह कथा-आलोचक के रूप में प्रतिष्ठित हुये।
- जिसमें रघुवीर सहाय या धूमिल जैसे घोषित लोहियावादी समाजवादी भी रहे हैं और भैरव प्रसाद गुप्त, रामविलास शर्मा जैसे घोषित वामपंथी भी.
- हिन्दुस्तानी अकादमी में, साहित्यिक गोष्ठी में भैरव प्रसाद गुप्त किसी को भी डपट देते-'' चुप रहो जी, तुम्हें कुछ नहीं मालूम।
- दूसरे, वे प्रायः अनियतकालिक थीं और उनके संपादकों में भैरव प्रसाद गुप्त के अलावा शायद किसी को भी साहित्यिक पत्रकारिता का अनुभव नहीं था।
- मैंने देवकीनंदन खत्री, राहुल सांकृत्यायन, यशपाल, रांगेय राघव, अमृतलाल नागर, भैरव प्रसाद गुप्त आदि पर पुस्तकें और मोनोग्राफ लिखे हैं।
- इलाहाबाद से स्नातकोत्तर स्तर तक शिक्षा अर्जित करने वाले भैरव प्रसाद गुप्त ने अपना कैरियर दक्षिण भारत में हिंदी प्रचारक के रूप में आरंभ किया.
- मैं भी बनारस से जाता था, गोष्ठियों में कहानियाँ पढ़ी जाती थीं, चर्चा होती थी, भैरव प्रसाद गुप्त जी हम लोगों के नेता थे।
- प्रकाशचंद्र गुप्त, भैरव प्रसाद गुप्त, उपेंद्रनाथ अश्क जैसे वरिष्ठ साहित्यकारों और सेंट जॉजफ सेमिनरी से जुड़े फादर धीरानंद भट्ट इत्यादि विद्वानों की उपस्थिति सहज-स् वाभाविक होती थी।
- हमारे रचनाकार हिंदी लेखक खोज संपर्क विश्वविद्यालय संग्रहालय हिंदी समय में भैरव प्रसाद गुप्त की रचनाएँ उपन्यास गंगा मैया सती मैया का चौरा कहानियाँ आप क्या कर रहे हैं?
- मुहब्बत की राहें (कहानी संग्रह, 1945) और शोले (उपन्यास, 1946) से आरंभ भैरव प्रसाद गुप्त की सृजनयात्रा उनकी अंतिम सांस तक अनवरत चलती रही.
- यह हमारे लिए इसलिए आश्चर्य का विषय रहा क्योंकि जब यह सब कुछ घटित हो रहा था उसी कमरे में अमरकान्त और भैरव प्रसाद गुप्त जैसे वरिष्ठ लेखक बैठे हुए थे।
- मोहन राकेश, राजेन्द्र यादव, मन्नू भंडारी, कमलेश्वर, भीष्म साहनी, भैरव प्रसाद गुप्त, आदि ने आधुनिक भाव बोध वाले अनेक उपन्यासों और कहानियों की रचना की है.
- वहां एक ओर परिमल के सदस्य बैठते थे तो दूसरी ओर भैरव प्रसाद गुप्त, मार्कण्डेय, कमलेश्वर, दुष्यंत (उस समय के दुष्यंत बहुत प्रभावकारी थे) जैसे वामपंथी विचारधारा वाले लोग।
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