मोहन अवस्थी sentence in Hindi
pronunciation: [ mohen avesthi ]
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- श्रीराम ठाकुर ' दादा' स्मृति सम्मान, डॉ. राज कुमारी शर्मा 'राज', गाज़ियाबाद को गोपालदास स्मृति सम्मान से तथा आनंद मोहन अवस्थी सृजन सम्मान से डॉ. के. बी. श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर व मु.
- बीच की उमर के सुदर्शन चेहरे, घनी मूछों वाले, दुबले-पतले छरहरे, शरीर के मालिक मोहन अवस्थी एक साथ दो अखबारों के पत्रकार,टाइपिस्ट,प्रूफरीडर,संपादक,प्रकाशक यानि कि पीर, बाबर्ची, भिस्ती, खर हैं।
- बीच की उमर के सुदर्शन चेहरे, घनी मूछों वाले, दुबले-पतले छरहरे, शरीर के मालिक मोहन अवस्थी एक साथ दो अखबारों के पत्रकार,टाइपिस्ट,प्रूफरीडर,संपादक,प्रकाशक यानि कि पीर, बाबर्ची, भिस्ती, खर हैं।
- इस अवधि में आनंद मोहन अवस्थी, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, रामनारायण उपाध्याय, अयोध्या प्रसाद गोयलीय, रामप्रसाद विद्यार्थी 'रावी' और श्यामनंदन शास्त्री, भृंग तुपकरी आदि द्वारा रचित प्राय: बोध-वृत्ति से युक्त 'लघुकथात्मक' संग्रह प्रकाशित हुए।
- इस अवधि में आनंद मोहन अवस्थी, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, रामनारायण उपाध्याय, अयोध्या प्रसाद गोयलीय, रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी' और श्यामनंदन शास्त्री, भृंग तुपकरी आदि द्वारा रचित प्राय: बोध-वृत्ति से युक्त ‘लघुकथात्मक' संग्रह प्रकाशित हुए।
- मोहन अवस्थी ' अनुगीत ', गोपाल दास नीरज ' गीतिका ', चंद्रसेन विराट ' मुक्तिका ', चंद्रभाल सुकुमार ' द्विपादिका ', कोई सिर्फ ग़ज़ल, कोई हिन्दी ग़ज़ल नाम से इसको व्याख्यायित रूपायित करते हैं।
- इस काल की अन्य लघुकथा पुस्तकें 1950 में रामवृक्ष बेनीपुरी का ' गेहूँ और गुलाब' व जबलपुर से श्री आनन्द मोहन अवस्थी का 'बंधनों की रक्षा' और बिहार से दिगम्बर द्वारा रचित 'हर सिंगार' शीर्षक से लघुकथा संग्रह प्रकाशित हुए।
- इस अवधि में आनंद मोहन अवस्थी, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, रामनारायण उपाध्याय, अयोध्या प्रसाद गोयलीय, रामप्रसाद विद्यार्थी ‘ रावी ' और श्यामनंदन शास्त्री, भृंग तुपकरी आदि द्वारा रचित प्राय: बोध-वृत्ति से युक्त ‘ लघुकथात्मक ' संग्रह प्रकाशित हुए।
- और आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र जी ने तो यहाँ तक कहा-“डाॅ0 मोहन अवस्थी के इस कृतित्व में जैसा श्रम है और अर्थों की परतें जिस सूक्ष्मता से उद्घटित हुई हैं वैसी महनीय शोध्ा साध्ाना वाला रीति ध्ाारा पर प्रबंध्ा पहले कोई नहीं दिखा।
- कई कवि-आलोचक-खगेन्द्र ठाकुर, राजीव सक्सेना, श्याम सुंदर घोष, चन्द्रभूषण तिवारी, सुरेन्द्र चौधरी, धूमिल, शिव कुमार मिश्र, श्याम बिहारी राय, सुरेन्द्र नाथ तिवारी, विजेन्द्र, उद्भ्रांत, ललित मोहन अवस्थी, रमेश रंजक, आनंद प्रकाश और शिवराम।
- चण्डिकाप्रसाद शुक्ल, डॉ. मोहन अवस्थी, प्रो. मृदुला त्रिपाठी, डॉ. विभुराम मिश्र, डॉ. किशोरी लाल, डॉ. कविता वाचक्नवी, डॉ. दूधनाथ सिंह, डॉ. राजलक्ष्मी वर्मा, डॉ. अली अहमद फ़ातमी और श्री एम. ए. कदीर को सम्मानित भी किया गया।
- इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य स्व. मोहन अवस्थी जी की इन पंक्तियों को मै आज स् व.श ्रीमती गांधी जी के प्रति श्रद्धासुमन के लिए उपयुक्त पा रहा हूँ, जो कि कवि ने कभी स्वतन्र्ता आन्दोलन में शहीदों के प्रति लिखा था, जिसमे मजबूत संकल्प को नमन किया गया है-थे गरून् निर्बाध गति, पूछो न उनके हौसले. बिजलियाँ चुनकर, बनाये थे उन्होंने घोसले.
- सन् 1970 से पूर्व कथा-लेखन की लघुकथा-परम्परा को जी-जान से अपनाने वालों में कन्हैयालाल मिश्र ‘ प्रभाकर ', आचार्य जगदीश चन्द्र मिश्र, सुदर्षन, अयोध्या प्रसाद गोयलीय, रावी, आनन्द मोहन अवस्थी, शरद कुमार मिश्र ‘ शरद ', रामनारायण उपाध्याय आदि का नाम लिया जा सकता है लेकिन इनकी रचनाएं पढ़ने के उपरान्त यही पता चलता है कि ये सभी लोग मुख्यतः ‘ लघुकथा ' की पुरातन धारा के ही वाहक हैं।
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