रघुनाथ शिरोमणि sentence in Hindi
pronunciation: [ reghunaath shiromeni ]
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- रघुनाथ शिरोमणि ने दिक, काल और आकाश को ईश्वर (आत्मा) में अन्तर्भूत मानकर तथा मन को असमवेत भूत कहकर द्रव्यों की संख्या पाँच तक ही सीमित करने की अवधारणा प्रवर्तित की।
- सूत्रकार और प्रशस्तपाद के अनुसार वायु का ज्ञान अनुमान प्रमाण से होता है, किन्तु व्योम शिवाचार्य, रघुनाथ शिरोमणि, वेणीदत्त आदि आचार्यों का यह मत है कि वायु का ज्ञान प्रत्यक्ष प्रमाण से हो जाता है।
- उदाहरणतया रघुनाथ शिरोमणि ने पदार्थतत्वनिर्णय नामक लघुग्रन्थ में विशेष के पदार्थत्व का खण्डन किया * और क्षण, स्वत्व, शक्ति, कारणत्व, कार्यत्व, संख्या, वैशिष्ट्य एवं विषयता ये आठ पदार्थ अतिरिक्त रूप में मानने का विधान किया।
- इनके ग्रन्थ के नाम से प्रतीत तो ऐसा होता है कि वेणीदत्त ने रघुनाथ शिरोमणि के मत का प्रत्याख्यान करने के लिए ग्रन्थ लिखा होगा, पर विशेष को पदार्थ न मानकर इन्होंने रघुनाथ के मत से अपनी सहमति भी प्रकट की है।
- और इन दोनों से भिन्न वासुदेव सार्वभौम, रघुनाथ शिरोमणि, गंगाधर, जगदीश, मथुरानाथ, गोकुलनाथ, भवानंद, शशधर, शितिकंठ, हरिदास, प्रगल्भ, विश्वनाथ, विष्णुपति, रघुदेव, प्रकाशधर, चंद्रनारायण, महेश्वर और हनुमान कृत टीकाएँ हैं।
- अब मैं श्रीयुत कुमारिल स्वामी तथा रघुनाथ शिरोमणि भट्टाचार्य के इसी विषय के वचनों को पाठकों के सम्मुख प्रदर्शित कर के अनुरोध के साथ अपने इस वक् तव्य को यहीं पर समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप लोग इस धृष्टता को क्षमा करेंगे।
- इस सम्बन्ध में रघुनाथ शिरोमणि तर्क करते हैं कि यदि विभिन्न उपाधियों से अवच्छिन्न होकर एक ही तत्व विभक्त रूप में व्यवहृत हो सकता है तो खंड-काल एवं खंड देश के व्यवहार के आधार के रूप में काल एवं देश रूपी दो भिन्न विभु तत्वों को मानने की क्या आवश्यकता है।
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