श्रीनिवास दास sentence in Hindi
pronunciation: [ sherinivaas daas ]
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- हिंदी का पहला उपन्यास हिंदी का पहला उपन्यास होने का गौरव लाला श्रीनिवास दास (1850-1907) द्वारा लिखा गया और 25 नवंबर 1885 को प्रकाशित परीक्षा गुरु नामक उपन्यास को प्राप्त है।
- अनुरोध प्रकाशन की पुस्तकेंविश्व के उत्कृष्ट हास्य-व्यंग्य अनुराग बसु पृष्ठ144आगे...कंचनतारा-2 धर्मसिंह चौहान पृष्ठ176आगे...कंचनतारा-1 धर्मसिंह चौहान पृष्ठ176आगे...परीक्षा गुरु लाला श्रीनिवास दास पृष्ठ200आगे...पोस्टमैन यादवेन्द्र शर्मा पृष्ठ128आगे...कंचनतारा धर्मसिंह चौहान पृष्ठ352आगे...
- हिंदी का पहला उपन्यास होने का गौरव लाला श्रीनिवास दास (1850-1907) द्वारा लिखा गया और 25 नवंबर 1885 को प्रकाशित परीक्षा गुरु नामक उपन्यास को प्राप्त है।
- रवींद्रनाथ टैगोर आँख की किरकिरी गोरा राजकिशोर सुनंदा की डायरी लाला श्रीनिवास दास परीक्षा गुरु विभूति नारायण राय किस्सा लोकतंत्र घर प्रेम की भूतकथा शहर में कर्फ्यू शरतचंद्र चट्टोपाध्याय देहाती समाज पथ के दावेदार परिणीता (ई-पुस्तक)
- इस काल के लेखकों में बालकृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, राधा चरण गोस्वामी, उपाध्याय बदरीनाथ चौधरी प्रेमघन, लाला श्रीनिवास दास, बाबू देवकी नंदन खत्री, और किशोरी लाल गोस्वामी आदि उल्लेखनीय हैं.
- दिलचस्प है कि भारतेन्दु युग के लेखकों बालकृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, राधा चरण गोस्वामी, उपाध्याय बदरीनाथ चौधरी प्रेमघन, लाला श्रीनिवास दास, बाबू देवकी नंदन खत्री और किशोरी लाल गोस्वामी में से ज्यादातर पत्रकार भी थे।
- राजा राममोहन राय, महर्षि कर्वे, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, दयानन्द सरस्वती जैसे समाज-सुधारकों के प्रयासों के परिणामस्वरूप लाला श्रीनिवास दास, श्रद्धानन्द किल्लौरी, बालकृष्ण भट्ट, किशोरीनसन गोस्वामी, भारतेन्दु हरिश्चन्द आदि जैसे साहित्यकार अपनी रचनाओं के द्वारा नारी-शिक्षा, नारी समस्या उन्मूलन जैसे विषयों को सामने ला रहे थे।
- यद्यपि उस से पहले लाला श्रीनिवास दास “परीक्षा-गुरु” जैसा हिन्दी का पहला उपन्यास लिख चुके थे एवं राजा शिवप्रसाद सिंह “सितारेहिंद” एवं राजा लक्ष्मण सिंह भी खड़ी-बोली हिन्दी में रचना कर चुके थे, परंतु खड़ी बोली हिन्दी को वास्तव में एक रूप एवं गति भारतेन्दु एवं उन के साथियों ने ही दी।
- पं. प्रतापनारायण मिश्र, पं. अम्बिकादत्त व्यास, पं. राधाचरण गोस्वामी, पं. दामोदर शास्त्री, पं. बदरीनारायण चौधारी, पं. सदानन्द मिश्र, पं. बालकृष्ण भट्ट, बाबू श्रीनिवास दास, बाबू काशीनाथ, बाबू तोताराम, इत्यादि सुजन ' हरिश्चन्द्री हिन्दी ' के प्रचार और पुष्ट करनेवाले हैं।
- प्रेमचन्द्र-पूर्ववर्ती हिन्दी उपन्यास-साहित्य में दो प्रमुख धारायें प्रवाहित होती दिखाई देती हैं, जिनमें से प्रथम धारा भारतेन्दुयुगीन सुधारवादी नैतिकता प्रधान सामाजिक उपन्यासों की धारा है, जिसका प्रतिनिधित्व लाला श्रीनिवास दास के ‘परीक्षा गुरू' में मिलता है, और उसकी दूसरी धारा जिसे तिलिस्मी-ऐयारी एवं जासूसी उपन्यास की संज्ञा प्राप्त है, उसके सर्वाधिक चर्चित लेखक बाबू देवकीनन्दन खत्री हैं, और उनकी कलम का जादू है ‘चन्द्रकान्ता'।
- प्रेमचन्द्र-पूर्ववर्ती हिन्दी उपन्यास-साहित्य में दो प्रमुख धारायें प्रवाहित होती दिखाई देती हैं, जिनमें से प्रथम धारा भारतेन्दुयुगीन सुधारवादी नैतिकता प्रधान सामाजिक उपन्यासों की धारा है, जिसका प्रतिनिधित्व लाला श्रीनिवास दास के ‘परीक्षा गुरू' में मिलता है, और उसकी दूसरी धारा जिसे तिलिस्मी-ऐयारी एवं जासूसी उपन्यास की संज्ञा प्राप्त है, उसके सर्वाधिक चर्चित लेखक बाबू देवकीनन्दन खत्री हैं, और उनकी कलम का जादू है ‘चन्द्रकान्ता'।
- प्रेमचन्द-पूर्ववर्ती हिन्दी उपन्यास-साहित्य में दो प्रमुख धारायें प्रवाहित होती दिखाई देती हैं, जिनमें से प्रथम धारा भारतेन्दुयुगीन सुधारवादी नैतिकता प्रधान सामाजिक उपन्यासों की धारा है, जिसका प्रतिनिधित्व लाला श्रीनिवास दास के 'परीक्षा गुरू' में मिलता है, और उसकी दूसरी धारा जिसे तिलिस्मी-ऐयारी एवं जासूसी उपन्यास की संज्ञा प्राप्त है, उसके सर्वाधिक चर्चित लेखक बाबू देवकीनन्दन खत्री हैं, और उनकी कलम का जादू है 'चन्द्रकान्ता'।
- प्रेमचन्द-पूर्ववर्ती हिन्दी उपन्यास-साहित्य में दो प्रमुख धारायें प्रवाहित होती दिखाई देती हैं, जिनमें से प्रथम धारा भारतेन्दुयुगीन सुधारवादी नैतिकता प्रधान सामाजिक उपन्यासों की धारा है, जिसका प्रतिनिधित्व लाला श्रीनिवास दास के ‘ परीक्षा गुरू ' में मिलता है, और उसकी दूसरी धारा जिसे तिलिस्मी-ऐयारी एवं जासूसी उपन्यास की संज्ञा प्राप्त है, उसके सर्वाधिक चर्चित लेखक बाबू देवकीनन्दन खत्री हैं, और उनकी कलम का जादू है ‘ चन्द्रकान्ता ' ।
- प्रेमचंद के पहिले के उपन्यासकारन के परम्परा में बाल किशन भट्ट, श्रीनिवास दास, राधाचरण गोस्वामी, ठाकुर जग मोहन सिंह, काका गोपाल दास गम्ही, किसोरी लाल,, देवकी नंदन खत्री आदि रचनाकारों ने बिबिध विषयों पर उपन्यासों की रचना की | इनमे से किसी ने तिलिस्मी और ऐयारी लिख कर अपनी-अपनी कल्पना शक्ति का परिचय दिया तो कोई, जासूसी उपन्यासों की रचना में मसगुल था, तो कोई रीतिकाल के प्रभाव में आकर प्रेम और रोमांस की अपनी कथा वस्तु का विषय बनाकर पाठको का सरस मनोरंजन किया
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