संप्राप्ति sentence in Hindi
pronunciation: [ senperaapeti ]
"संप्राप्ति" meaning in English"संप्राप्ति" meaning in HindiSentences
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- अथर्ववेद में ऋषि, पृथ्वी सूक्त में ‘ श्री ' की प्रार्थना करते हुए कहते हैं “ श्रिया मां धेहि '' अर्थात मुझे ‘‘ श्री ” की संप्राप्ति हो।
- आज भी बोध गया में वह पुण्यमय बोधितरू (अश्वत्थ वृक्ष) मौजूद है जिसकी छांव तले 89 दिन तक समाधिस्थ रहने के बाद सिद्धार्थ को ज्ञान-ज्योति की संप्राप्ति हुई।
- गुरुदेव की दीक्षा के प्रभाव से सब कर्म सफल होते हैं | गुरुदेव की संप्राप्ति रूपी परम लाभ से अन्य सर्वलाभ मिलते हैं | जिसका गुरु नहीं वह मूर्ख है |
- इस सन्दर्भ में मगध सांस्कृतिक केन्द्र सह गया संग्रहालय में प्रदर्शित शिलास्तम्भ के गणेश का वर्णन आवश्यक हो जाता है जिसकी संप्राप्ति 40 के दशक में चैक क्षेत्र से हुई थी।
- गुरुदेव की दीक्षा के प्रभाव से सब कर्म सफल होते हैं | गुरुदेव की संप्राप्ति रूपी परम लाभ से अन्य सर्वलाभ मिलते हैं | जिसका गुरु नहीं वह मूर्ख है | (100)
- इसके लिए प्रत्येक रोग के हेतु (कारण), लिंग-रोगपरिचायक विषय, जैसे पूर्वरूप, रूप (साइंस एंड सिंप्टम्स), संप्राप्ति (पैथोजेनिसिस) तथा उपशयानुपशय (थिराप्युटिकटेस्ट्स)-और औषध का ज्ञान परमावश्यक है।
- संप्राप्ति (पैथोजेनेसिस): किस कारण से कौन सा दोष स्वतंत्र रूप में या परतंत्र रूप में, अकेले या दूसरे के साथ, कितने अंश में और कितनी मात्रा में प्रकुपित होकर, किस धातु या किस अंग में, किस-किस स्वरूपश् का विकार उत्पन्न करता है, इसके निर्धारण को संप्राप्ति कहते हैं।
- संप्राप्ति (पैथोजेनेसिस): किस कारण से कौन सा दोष स्वतंत्र रूप में या परतंत्र रूप में, अकेले या दूसरे के साथ, कितने अंश में और कितनी मात्रा में प्रकुपित होकर, किस धातु या किस अंग में, किस-किस स्वरूपश् का विकार उत्पन्न करता है, इसके निर्धारण को संप्राप्ति कहते हैं।
- संप्राप्ति (पैथोजेनेसिस): किस कारण से कौन सा दोष स्वतंत्र रूप में या परतंत्र रूप में, अकेले या दूसरे के साथ, कितने अंश में और कितनी मात्रा में प्रकुपित होकर, किस धातु या किस अंग में, किस-किस स्वरूपश् का विकार उत्पन्न करता है, इसके निर्धारण को संप्राप्ति कहते हैं।
- संप्राप्ति (पैथोजेनेसिस): किस कारण से कौन सा दोष स्वतंत्र रूप में या परतंत्र रूप में, अकेले या दूसरे के साथ, कितने अंश में और कितनी मात्रा में प्रकुपित होकर, किस धातु या किस अंग में, किस-किस स्वरूपश् का विकार उत्पन्न करता है, इसके निर्धारण को संप्राप्ति कहते हैं।
- ३-संप्राप्ति (पैथोजेनेसिस): किस कारण से कौन सा दोष स्वतंत्र रूप में या परतंत्र रूप में, अकेले या दूसरे के साथ, कितने अंश में और कितनी मात्रा में प्रकुपित होकर, किस धातु या किस अंग में, किस-किस स्वरूपश् का विकार उत्पन्न करता है, इसके निर्धारण को संप्राप्ति कहते हैं।
- निश्चित समय से पूर्व करना संप्राप्ति विचार या सुझाव देना अग्रानीत करना उन्नति होना दोस्ती / प्यार जताने की कोशिश बनो मत आगे बढ् प्रगमन अग्रिम राशि देना अग्रगामी अग्रिम देना निश्चित समय से पूर्व करना विकास होना अग्रानीत करना विकास होना अग्रगति दीर्घकालीन गतिशीलता बात बढाना अग्रसरना मूल्यवृद्धि विषय परिवर्तन करना/स्थान परिवर्तन करना अग्रसर होना आगे करना विकास करना सुझाव मरना अग्रगणि आगे लाना आगे बढ् प्रस्ताव विकास आगे बढ़ना[बढाना] अग्रिम राशि अग्रिम देना अग्रिम धन
- रोगस्तु दोषवैषम्यं विषम हुए ये दोष जब धातुओं को दूषित करते हैं, तब दोष दुष्य सम्मुर्च्छना हो व्याधि की उत्पत्ति होती है | दोषों को समावस्था में लाना और संप्राप्ति भंग कर व्याधि कानिराकरण करना ही चकित्सा है | इसलिए दोष विपरीत और व्याधि विपरीत चिकित्सा क्रम में अपनाना पड़ता है | रोगी एवं रोग की परीक्षा के लिए निदान फलक का अनुशीलन अतीव आवश्यक है यह जितना निर्दोष और सटीक होगा रोग विनिश्चित उसी अनुपान में दोष रहित हो सकेगी | रोग का निदान अचूक होने पर चिकित्सा विज्ञान का आविष्कार हुआ है |
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