हरिसुमन बिष्ट sentence in Hindi
pronunciation: [ herisumen biset ]
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- वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ मिश्र, वागर्थ के संपादक एकांत श्रीवास्तव, सृजनगाथा के संपादक जय प्रकाश मानस तथा हिन्दी अकादमी के सचिव हरिसुमन बिष्ट जी आदि सभागार में उपस्थित थे।
- पिछले दिनों दिल्ली की हिंदी अकादेमी के नये सचिव हरिसुमन बिष्ट ने, जो स्वयं जाने-माने कथाकार हैं, ‘ तीन पीढ़ी तीन दिन ' शृंखला के कार्यक्रम किए।
- वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ मिश्र, वागर्थ के संपादक एकांत श्रीवास्तव, सृजनगाथा के संपादक जय प्रकाश मानस तथा हिन्दी अकादमी के सचिव हरिसुमन बिष्ट जी आदि सभागार में उपस्थित थे।
- पर्वतीय लोक कला मंच द्वारा 21 मई, 2011 को दिल्ली के आई.टी.ओ. स्थित प्यारेलाल भवन में श्री हरिसुमन बिष्ट द्वारा लिखे गये उपन्यास आछरी-माछरी पर आधारित हिन्दी नाटक “आछरी-माछरी” का सफल मंचन किया गया।
- व्यंकटेश काब्दे, हिन्दी अकादमी के उपसचिव डा. हरिसुमन बिष्ट, प्राचार्य डा. जी. एम. कलमसे तथा संस्था के अध्यक्ष डॉ. हरमहेन्दर सिंह बेदी ने दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया।
- आछरी-माछरी का सफल मंचन पर्वतीय लोक कला मंच द्वारा 21 मई, 2011 को दिल्ली के आई.टी.ओ. स्थित प्यारेलाल भवन में श्री हरिसुमन बिष्ट द्वारा लिखे गये उपन्यास आछरी-माछरी पर आधारित हिन्दी नाटक “आछरी-माछरी” का सफल मंचन किया गया।
- डॉ. हरिसुमन बिष्ट का जन्म १ जनवरी, १९५८ को उत्तराखण्ड में हुआ था. उन्होंने कुमांऊ वि.वि. से हिन्दी साहित्य में एम.ए. और 'स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी में नारी स्वातंत्र्य की अवधारणा' विषय पर आगरा विश्वविद्यालय से पी-एच.डी की उपाधि प्राप्त की.
- नई दिल्ली, विश्व पुस्तक मेला-2013 में रविवार को युवा कवि-पत्रकार जगमोहन ‘ आज़ाद ' के तिसरे कविता संग्रह ‘ जाह्नवी ' का लोकार्पण हिन्दी अकादमी के सचिव डॉ. हरिसुमन बिष्ट एवं वरिष्ठ लेखक एवं समयांतर के संपादक पंकज बिष्ट ने किया।
- हरिसुमन बिष्ट ने मुख्य वक्ता के रूप में आदिकाल से आधुनिक काल तक के इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम व बाद में राष्ट्रभाषा बनने तक हिन्दी की राष्ट्रीय पहचान को रेखांकित करते हुए आज के वैश्वीकरण के दौर में हिन्दी को सम्पूर्ण राष्ट्र की आवश्यकता बताया।
- उद्घाटन सत्र में ‘ कुमाउनी केवल बोली नहीं, पूर्ण भाषा है, ' विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव डॉ. हरिसुमन बिष्ट ने कहा कि कि कुमाउनी का एक इतिहास, परम्परा और संस्कृति है।
- पर्वतीय लोक कला मंच प्रस्तुत करता है हरिसुमन बिष्ट के उपन्यास पर आधारित नाटक “आछरी-माछरी” निर्देशक: गंगादत्त भट, नाट्य रूपांतर: श्री हेम पंत स्थान: प्यारे लाल भवन, गांधी मेमोरियल हॉल (आई.टी.ओ. के पास) दिनाँक: 21 मई 2011 (शनिवार) को सायं 6 बजे।
- पर्वतीय लोक कला मंच प्रस्तुत करता है हरिसुमन बिष्ट के उपन्यास पर आधारित नाटक “आछरी-माछरी” निर्देशक: गंगादत्त भट, नाट्य रूपांतर: श्री हेम पंत स्थान: प्यारे लाल भवन, गांधी मेमोरियल हॉल (आई.टी.ओ. के पास) दिनाँक: 21 मई 2011 (शनिवार) को सायं 6 बजे।
- मसलन उत्तराखण्ड के महाधिवक्ता उमाकांत उनियाल प्रदर्शन के बाद मीडिया सेंटर में कलाकारों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की मौजूदगी में राजुला-मालूशाही पर डॉ हरिसुमन बिष्ट की पुस्तक के विमोचन पर महाधिवक्ता उनियाल ने अंग्रेजी में दिए अपने संबोधन में बड़े दंभ से कहा कि उत्तराखण्ड की संस्कूति के बारे में मुझे मालूम नहीं है।
- डॉ. हरिसुमन बिष्ट का जन्म १ जनवरी, १ ९ ५ ८ को उत्तराखण्ड में हुआ था. उन्होंने कुमांऊ वि. वि. से हिन्दी साहित्य में एम. ए. और ' स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी में नारी स्वातंत्र्य की अवधारणा ' विषय पर आगरा विश्वविद्यालय से पी-एच. डी की उपाधि प्राप्त की.
- इस अवसर पर श्री हरिसुमन बिष्ट, सचिव, हिंदी अकादमी,दिल्ली, डॉ. शभु बादल, सदस्य, साहित्य अकादमी, डॉ. पीयुष गुलेरी, पूर्व सदस्य, साहित्य अकादमी, कादम्बिनी से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार-सम्पादक डॉ. धनंजय सिंह, वागर्थ के सम्पादक व प्रतिभाशाली युवा कवि श्री एकांत श्रीवास्तव एवं निराला शिक्षण समिति, नागपुर के निदेशक डॉ. सूर्यकान्त ठाकुर, आयोजन के प्रमुख समन्यवयक डॉ. जयप्रकाश मानस विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचस्थ थे।
- ऐसी स्थिति में हरिसुमन बिष्ट ने संवेदना के सागर में गोता लगाते हुए निठारी के समाज की सौहार्दता, नोेएडा बनते जाने के क्रम में गांव और शहर के लोगों के संबंधों के बीच टकराव और नोएडा के रहने वालों के प्रतीक रूप में सेक्टर इकतीस के वह आदमी और उसकी पत्नी के दोहरे आचरण और मजदूर वर्ग खासकर सेक्टर में काम करने वालों और रिक्शाचालकों के बीच की आत्मीयता का यथार्थ चित्रण किया है।
- आयोजन में हरिसुमन बिष्ट, प्रेमपाल शर्मा, हरिपाल त्यागी, अशोक भौमिक, वीरेंद्र कुमार बरनवाल, आनंद प्रधान, प्रणय कृष्ण, आशुतोष कुमार, अली जावेद, अजेय कुमार, प्रेमशंकर, देवेंद्र चौबे, राधेश्याम मंगोलपुरी, अच्युतानंद मिश्र, सवि सावरकर, योगेंद्र आहूजा, कुमार मुकुल, एके अरुण, संतोष झा, समता राय, उदय शंकर, श्याम शर्मा, श्याम सुशील, संजय जोशी, भाषा सिंह जैसे साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों के अतिरिक्त दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के छात्र बड़ी संख्या में इस आयोजन में मौजूद थे।
- इस अवसर पर श्री हरिसुमन बिष्ट, सचिव, हिंदी अकादमी, दिल्ली, डॉ. शभु बादल, सदस्य, साहित्य अकादमी, डॉ. पीयुष गुलेरी, पूर्व सदस्य, साहित्य अकादमी, कादम्बिनी से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार-सम्पादक डॉ. धनंजय सिंह, वागर्थ के सम्पादक व प्रतिभाशाली युवा कवि श्री एकांत श्रीवास्तव एवं निराला शिक्षण समिति, नागपुर के निदेशक डॉ. सूर्यकान्त ठाकुर, आयोजन के प्रमुख समन्यवयक डॉ. जयप्रकाश मानस विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचस्थ थे।
- प्रसिद्ध लेखिका और ‘ नंदन ' की कार्यकारी संपादक क्षमा शर्मा, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में जनसंचार के प्रोफेसर डा. गोविंद सिंह, हिंदी अकादमी, दिल्ली के सचिव डा. हरिसुमन बिष्ट, ‘ कादंबिनी ' के कार्यकारी संपादक राजीव कटारा, ‘ अमर उजाला ' के वरिष्ठ पत्रकार कल्लोल चक्रवर्ती, कथाकार महेश दर्पण, बाल साहित्यकार रमेश तैलंग, रिटायर्ड अरण्यपाल जे. एस. मेहता, भंडारी दम्पती और कई अन्य लोगों का भी फोन आया है कि वे तुम्हें पढ़ रहे हैं।
- जेन्नी शबनम, राज भाटिया, रूपसिंह चन्देल, प्राण शर्मा, संगीता स्वरूप, प्रमोद ताम्बट, नीरज गोस्वामी, शिरीष कुमार मौर्य, रमेश कपूर, जग्गी कुस्सा, हरिसुमन बिष्ट, हीरेन, मृदुला प्रधान, सुनीता शर्मा, एम. ए. शर्मा ‘ सेहर ', सुलभ जायसवाल, उड़न तश्तरी, देवेन्द्र गौतम श्यामसुन्दर अग्रवाल, सूरज प्रकाश और उमेश महादोषी … नि: संदेह इनमें से बहुत से हिंदी-पंजाबी के जाने-माने लेखक-कवि हैं और नेट पर ब्लॉगिंग और फेसबुक पर छोटी-छोटी सारगर्भित पोस्टिंग करने में बहुत सक्रिय हैं।
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