झुलसा रोग sentence in Hindi
pronunciation: [ jhulesaa roga ]
"झुलसा रोग" meaning in HindiSentences
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- कृषि अधिकारियों ने जांच के बाद बताया फसलों पर गर्दन झुलसा रोग का प्रकोप था, जिसे समय रहते कंट्रोल किया जा सकता था लेकिन लगातार हो रही बारिश एवं छाए बादलों के कारण दवाओं का छिड़काव नहीं हो पाया जिसके चलते फसल बर्बाद हो गई।
- उन्होंने बताया कि पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारम्भ होती हैं जो तीव्रगति से फैलती हंै जिसके फलस्वरूप पत्तियों पर भूरे / काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों के निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती है।
- उद्यान निदेशक ने कहा कि बदलीयुक्त मौसम में आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिये आलू उत्पादक जिंग मैगनीज कार्बामेट 2. 0 से 2.5 कि 0 ग्रा 0 को 800 से 1000 ली 0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला रक्षात्मक छिड़काव करें।
- सरसों की फसल में प्रमुख रोग जैसे आल्टरनेरिया, पत्ती झुलसा रोग, सफ़ेद किट्ट रोग, चूणिल आसिता रोग तथा तुलासिता रोग फसल में लगते है, इन रोगों के नियत्रण के लिए मेन्कोजेब 75 प्रतिशत नामक रसायन को 800-1000 लीटर पानी में मिलकर छिडकाव करना चाहिएI
- निदेशक, उद्यान ने बताया कि पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारम्भ होती हैं, जो तीव्र गति से फैलता है, पत्तियों पर भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों की निचली सतह पर रूई की तरह फफून्द दिखाई देती है।
- (१) झुलसा रोग की पहचान: कुछ पीले व कुछ भूरापन लिए हुए अण्डाकार धब्बे शुरू में में निचली पत्तियों पर दिखाई देते है | ये धब्बे बाद में किनारों पर कत्थई भूरे रंग के हो जाते है |उपचार:इनकी रोकथाम हेतु निम्न में से किसी एक का छिड़काव प्रति हे.
- श्री सिंह ने बताया कि आलू की फसल को अगेती एवं पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए जिंक मैगजीन काबाZमेट 2. 0 से 2.5 कि 0 ग्रा 0 को 800-1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला रक्षात्मक छिड़काव बुवाई के 30-45 दिन बाद अवश्य किया जाये।
- रोगरोधी / सही सहिशुर्ण प्रजातियों के प्रमाणित बीज की बाई करनी चाहिए | जैसे अल्टरनेरिया, झुलसा रोग के लिए टी.-४, वाई. आर. टी. टी.-६ व आर. एच. ३० आदि |६. झुलसा सफेद किट्ट तथा तुसलिता रोग रोग की रोकथाम के लिये मैन्कोजेब ७५ प्रतिशत की २.० किग्रा. मात्रा अथवा मेटालेक्सिल + मैन्कोजेब (एडोमिल एवं जेड) की १ किग्रा.
- इसमे तिल की फिलोड़ी अवम फाईटोप्थोरा झुलसा रोग लगते हैI फिलोड़ी की रोकथाम के लिए बुवाई के समय कूंड में 10 जी. 15 किलोग्राम या मिथायल-ओ-डिमेटान 25 ई.स ी 1 लीटर की दर से प्रयोग करना चाहिए तथा फाईटोप्थोरा झुलसा की रोकथाम हेतु 3 किलोग्राम कापर आक्सीक्लोराइड या मैन्कोजेब 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकतानुसार दो-तीन बार छिडकाव करना चाहिएI
- इन क्षेत्रों में ग्रीष्म कालीन सब्जियों (टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च व लाल मिर्च) की पनीरी उगाने के लिए समय उपयुक्त है| जीवाणु झुलसा रोग (वैक्टीरियल विल्ट) प्रभावित क्षेत्रों में जीवाणु झुलसा रोग प्रतिरोधी किस्मों जैसे टमाटर (पालम पिंक, पालम प्राइड), बैंगन (पी.पी.सी. अर्का निधी, अर्का केशव, अर्का नीलकण्ठ व हिसार श्यामल), शिमला मिर्च (येलो बंडर) तथा लाल मिर्च (सूरजमुखी) आदि का ही चयन करें|
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