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प्रथम प्रति sentence in Hindi

pronunciation: [ perthem perti ]
"प्रथम प्रति" meaning in English
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  • प्रारम्भ में कवि उद्भ्रांत ने तीनों लोकार्पित कृतियों की चुनिंदा कविताओं और काव्यांशों का प्रभावशाली पाठ करने के पूर्व ‘अस्ति ' (कविता संग्रह)-जिसे उन्होंने ‘कविता और जीवन के प्रति आस्थावान अपने सुधी और परम विश्वसनीय पाठक-मित्र के निमित्त' समर्पित किया है-कीे प्रथम प्रति बड़ी संख्या में उपास्थित सुधी श्रोताओं में एक वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सिद्धांतकर को तथा ‘राधामाधव' (काव्य)-जिसे उन्होंने पत्नी और तीनों बेटियों के नाम समर्पित किया है-की प्रथम प्रति श्रीमति ऊषा उद्भ्रांत को भेंट की।
  • प्रारम्भ में, कवि उद्भ्रांत ने तीनों लोकार्पित कृतियों की चुनिंदा कविताओं और काव्यांशों का प्रभावशाली पाठ करने के पूर्व ‘अस्ति (कविता-संग्रह)' जिसे उन्होंने ‘कविता और जीवन के प्रति आस्थावान' अपने सुधी और परम विश्वसनीय पाठक-मित्र के निमित्त ‘समर्पित किया है-की प्रथम प्रति बड़ी संख्या में उपस्थित सुधी श्रोताओं में से एक वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सिद्धांतकर को तथा ‘राधा-माधव'-जिसे उन्होंने पत्नि और तीनों बेटियों के नाम समर्पित किया है-की प्रथम प्रति श्रीमती उषा उद्भ्रांत को भेंट की।
  • प्रारम्भ में, कवि उद्भ्रांत ने तीनों लोकार्पित कृतियों की चुनिंदा कविताओं और काव्यांशों का प्रभावशाली पाठ करने के पूर्व ‘अस्ति (कविता-संग्रह)' जिसे उन्होंने ‘कविता और जीवन के प्रति आस्थावान' अपने सुधी और परम विश्वसनीय पाठक-मित्र के निमित्त ‘समर्पित किया है-की प्रथम प्रति बड़ी संख्या में उपस्थित सुधी श्रोताओं में से एक वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सिद्धांतकर को तथा ‘राधा-माधव'-जिसे उन्होंने पत्नि और तीनों बेटियों के नाम समर्पित किया है-की प्रथम प्रति श्रीमती उषा उद्भ्रांत को भेंट की।
  • प्रारम्भ में, कवि उद्भ्रांत ने तीनों लोकार्पित कृतियों की चुनिंदा कविताओं और काव्यांशों का प्रभावशाली पाठ करने के पूर्व 'अस्ति (कविता-संग्रह)' जिसे उन्होंने 'कविता और जीवन के प्रति आस्थावान' अपने सुधी और परम विश्वसनीय पाठक-मित्र के निमित्त 'समर्पित किया है-की प्रथम प्रति बड़ी संख्या में उपस्थित सुधी श्रोताओं में से एक वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सिद्धांतकर को तथा 'राधा-माधव'-जिसे उन्होंने पत्नि और तीनों बेटियों के नाम समर्पित किया है-की प्रथम प्रति श्रीमती उषा उद्भ्रांत को भेंट की।
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  • प्रारम्भ में कवि उद्भ्रांत ने तीनों लोकार्पित कृतियों की चुनिंदा कविताओं और काव्यांशों का प्रभावशाली पाठ करने के पूर्व ‘अस्ति ' (कविता संग्रह), जिसे उन्होंने ‘कविता और जीवन के प्रति आस्थावान अपने सुधी और परम विश्वसनीय पाठक-मित्रा के निमित्त' समर्पित किया है, की प्रथम प्रति बड़ी संख्या में उपास्थित सुधी श्रोताओं में एक वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सिद्धांतकर को तथा ‘राधामाधव' (काव्य), जिसे उन्होंने पत्नी और तीनों बेटियों के नाम समर्पित किया है, की प्रथम प्रति श्रीमति ऊषा उद्भ्रांत को भेंट की।
  • प्रारम्भ में कवि उद्भ्रांत ने तीनों लोकार्पित कृतियों की चुनिंदा कविताओं और काव्यांशों का प्रभावशाली पाठ करने के पूर्व ‘अस्ति ' (कविता संग्रह), जिसे उन्होंने ‘कविता और जीवन के प्रति आस्थावान अपने सुधी और परम विश्वसनीय पाठक-मित्रा के निमित्त' समर्पित किया है, की प्रथम प्रति बड़ी संख्या में उपास्थित सुधी श्रोताओं में एक वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सिद्धांतकर को तथा ‘राधामाधव' (काव्य), जिसे उन्होंने पत्नी और तीनों बेटियों के नाम समर्पित किया है, की प्रथम प्रति श्रीमति ऊषा उद्भ्रांत को भेंट की।
  • प्रारम्भ में, कवि उद् भ्रांत ने तीनों लोकार्पित कृतियों की चुनिंदा कविताओं और काव्यांशों का प्रभावशाली पाठ करने के पूर्व ‘ अस्ति (कविता-संग्रह) ' जिसे उन्होंने ‘ कविता और जीवन के प्रति आस्थावान ' अपने सुधी और परम विश्वसनीय पाठक-मित्र के निमित्त ‘ समर्पित किया है-की प्रथम प्रति बड़ी संख्या में उपस्थित सुधी श्रोताओं में से एक वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सिद्धांतकर को तथा ‘ राधा-माधव '-जिसे उन्होंने पत्नि और तीनों बेटियों के नाम समर्पित किया है-की प्रथम प्रति श्रीमती उषा उद् भ्रांत को भेंट की।
  • प्रारम्भ में, कवि उद् भ्रांत ने तीनों लोकार्पित कृतियों की चुनिंदा कविताओं और काव्यांशों का प्रभावशाली पाठ करने के पूर्व ‘ अस्ति (कविता-संग्रह) ' जिसे उन्होंने ‘ कविता और जीवन के प्रति आस्थावान ' अपने सुधी और परम विश्वसनीय पाठक-मित्र के निमित्त ‘ समर्पित किया है-की प्रथम प्रति बड़ी संख्या में उपस्थित सुधी श्रोताओं में से एक वरिष्ठ कवि श्री शिवमंगल सिद्धांतकर को तथा ‘ राधा-माधव '-जिसे उन्होंने पत्नि और तीनों बेटियों के नाम समर्पित किया है-की प्रथम प्रति श्रीमती उषा उद् भ्रांत को भेंट की।
  • प्रारंभ में कवि उद्भ्रांत द्वारा ‘ आलोचना का वाचिक ' ग्रंथ की प्रथम प्रति नामवर जी को, ‘ सृजन की भूमि ' की प्रथम दो प्रतियां वरिष्ठ आलोचकों डॉ. आनंद प्रकाश दीक्षित व डॉ. शिवकुमार मिश्र की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि के रूप में क्रमशः दीक्षित जी के जमाता एवं पूर्व निदेशक (वित्त), बीएसएनएल श्री एस. डी. सक्सेना एवं डॉ. बली सिंह, काव्यनाटक ‘ ब्लैकहोल ' की प्रथम प्रति कथाकार ज्ञानरंजन की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि के रूप में श्री हीरालाल नागर को तथा ‘
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