१५वीं शताब्दी sentence in Hindi
pronunciation: [ 15vin shetaabedi ]
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- १५वीं शताब्दी में “नेमिनाथ” और “राजमती” वाले प्रसंग को लेकर “विक्रम” कवि ने “नेमिदूत” काव्य लिखा, जिसमें मेघूदत” के १२५ पद्यों के अंतिम चरणों को समस्या बनाकर कवि ने नेमिनाथ द्वारा परित्यक्त राजमती के विरह का वर्णन किया है।
- १५वीं शताब्दी में “नेमिनाथ” और “राजमती” वाले प्रसंग को लेकर “विक्रम” कवि ने “नेमिदूत” काव्य लिखा, जिसमें मेघूदत” के १२५ पद्यों के अंतिम चरणों को समस्या बनाकर कवि ने नेमिनाथ द्वारा परित्यक्त राजमती के विरह का वर्णन किया है।
- को बैलगाड़ी युग की भाषा बताने वाले यदि स्वयं ब्रिटेन में अंग्रेजी की स्थिति पर चर्चा करें तो पायेंगे कि जब १५वीं शताब्दी में अंग्रेजी को इंग्लैड की राजभाषा घोषित किया गया तब यह अत्यन्त अविकसित और पिछड़ी हुई भाषा थी।
- इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, कबीर, रविदास, तुलसीदास जिन्होंने यहां रामचरितमानस लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने १५वीं शताब्दी में मनुस्मृति पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी[85] एवं भारतेन्दु हरिशचंद्र, और आधुनिक काल के जयशंकर प्रसाद,
- इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, कबीर, रविदास, तुलसीदास जिन्होंने यहां रामचरितमानस लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने १५वीं शताब्दी में मनुस्मृति पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी[85] एवं भारतेन्दु हरिशचंद्र, और आधुनिक काल के जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकर, देवकी नंदन खत्री, हजारी प्रसाद द्विवेदी, तेग अली, क्षेत्रेश चंद्र चट्ट
- रोमनो द्वारा ई. पू. पहली शताब्दी में स्थापित, फ्लोरेन्स का पुनर्जन्म बारबरिक युग के अन्त के बाद, कारोलिंगियन काल में हुआ, और ११ वीं से १५वीं शताब्दी के बीच एक स्वाधीन नगर की तरह, पोप और शासक के शक्ति के बीच संतुलन बनाकर, ग्वेल्फ और घीबेलियनों के बीच के दुर्भाग्यपूर्ण अनतरकलह को दुर करके सभ्यता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच गया।
- पतन का कारण सूखा होने के प्रमाण १५वीं शताब्दी की लड़ाईयों व जमीन के अंधाधुंध दुरुपयोग से अंकोरवाट के पतन की कहानी से अलग मैरीबेथ को ११ वीं शताब्दी में ख्मेर साम्राज्य के बनवाए गए पूरे क्षेत्र के जलाशयों में जमे तलछट के जो नमून मिले हैं उससे इस क्षेत्र के १००० साल के पर्यावरण के इतिहास पर की जानकारी हासिल की है।
- इस नगर में महान भारतीय लेखक एवं विचारक हुए हैं, कबीर, रविदास, तुलसीदास जिन्होंने यहां रामचरितमानस लिखी, कुल्लुका भट्ट जिन्होंने १५वीं शताब्दी में मनुस्मृति पर सर्वश्रेष्ठ ज्ञात टीका यहां लिखी[85] एवं भारतेन्दु हरिशचंद्र, और आधुनिक काल के जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, जगन्नाथ प्रसाद रत्नाकर, देवकी नंदन खत्री, हजारी प्रसाद द्विवेदी, तेग अली, क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय, वागीश शास्त्री, बलदेव उपाध्याय, सुमन पांडेय (धूमिल) एवं विद्या निवास मिश्र और अन्य बहुत।
- सबसे पुराने पेंचकस जिनका लिखित प्रमाण मौजूद है, उन्हें यूरोप में मध्ययुग में उपयोग किया जाता था | ऐसा प्रतीत होता है कि इनका आविष्कार जर्मनी या फ्रांस में १५वीं शताब्दी में हुआ था | पेंचकस पूरी तरह से पेंचों पर निर्भर हैं और कुछ उन्नति के बाद ही पेंचों का उत्पादन सरल हुआ और यह प्रसिद्ध होकर बड़े पैमाने पर उपयोग किये जाने लगे | प्रसिद्धि में बढोत्तरी के साथ ही पेंचकस विविधतापूर्ण एवं परिष्कृत होते चले गए | पेंचों की परिशुद्धता में वृद्धि ने, दक्षता और मानकीकरण के माध्यम से पेंचकसों के उत्पादन में वृद्धि की |
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