1. लेकिन, मनुष्य की द्वाभा और सघन होती, 2. उनकी दृष्टि में दर्प और विश्वास की धूपछाँही द्वाभा है। 3. उन रंगों में आज मिला दो अपनी मंद प्रकाशित द्वाभा , 4. लेकिन, मनुष्य की द्वाभा और सघन होती, धरती की किस्मत और भरमती जाती है। 5. द्वाभा कहाँ? जहाँ भी ये युग चरण मंजु पड़ते हैं, तुम्हे घेरकर खुली मुक्त आभा-सी छा जाती है;6. हेंतमेंत में वहां से निकले, तो उदयगिरि के लिए गए, जहां पहुंचने तक द्वाभा फैल चुकी थी। 7. मामी बोल रही थीं और शाम की द्वाभा में पके केशों के बीच उनकी माँग की लाली दमक रही थी. 8. खण्ड तीन में चार पर्व हैं शाश्वत रात का पर्व, दोहरी द्वाभा का पर्व, शाश्वत् दिवस का पर्व और उपसंहार। 9. खण्ड तीन में चार पर्व हैं शाश्वत रात का पर्व, दोहरी द्वाभा का पर्व, शाश्वत् दिवस का पर्व और उपसंहार। 10. द्वाभा कहाँ? जहाँ भी ये युग चरण मंजु पड़ते हैं, तुम्हे घेरकर खुली मुक्त आभा-सी छा जाती है ;