11. इन शब्दों का विकास ज़ेंद के तिघा से हुआ जिनका सम्बन्ध संस्कृत के तिज्, तिग्, तिग्म से ही है । 12. गौरतलब है कि संस्कृत के अभि उपसर्ग का ज़ेंद रूप अइवी या अ इबी (aiwi, aibi) होता है । 13. उन भाष्यों को पहलवी में ज़ेंद कहा जाता है और व्याख्याएँ अब “अवेस्तक-उ-ज़ेंद अथवा अवेस्ता तथा उसके भाष्य के नाम से विख्यात हैं। 14. जॉन प्लैट्स के अनुसार भी फ़ारसी का ‘ कम ', ज़ेंद (अवेस्ता) के ‘ कम्ना ' से आया है । 15. धार्मिक क्षेत्र में अवेस्ता की टीका ज़ेंद के नाम से लिखी गई है और फिर उस टीका की गई, जिसका नाम पज़ेद है। 16. उन भाष्यों को पहलवी में ज़ेंद कहा जाता है और व्याख्याएँ अब “अवेस्तक-उ-ज़ेंद अथवा अवेस्ता तथा उसके भाष्य के नाम से विख्यात हैं। 17. जॉन प्लैट्स के कोश में फ़ारसी के ‘ रस ' का विकास क्रमशः पहलवी रश और ज़ेंद के राश से हुआ है । 18. फ़ैलन के कोश के मुताबिक अलात शब्द का ज़ेंद रूप भी अलाव ही है अर्थात आज से चार हज़ार साल पहले ही अलात का अलाव रूप सामने आ चुका था । 19. फ़ै लन के कोश के मुताबिक अलात शब्द का ज़ेंद रूप भी अलाव ही है अर्थात आज से चार हज़ार साल पहले ही अलात का अलाव रूप सामने आ चुका था । 20. फ़ै लन के कोश के मुताबिक अलात शब्द का ज़ेंद रूप भी अलाव ही है अर्थात आज से चार हज़ार साल पहले ही अलात का अलाव रूप सामने आ चुका था ।