11. इन छह पट्ठाणों का पूर्ववत् चार विभागों में प्ररूपण होने से संपूर्ण ग्रंथ 24 पट्ठाणों में विभक्त हो जाता है। 12. इन छह पट्ठाणों का पूर्ववत् चार विभागों में प्ररूपण होने से संपूर्ण ग्रंथ 24 पट्ठाणों में विभक्त हो जाता है। 13. इन छह पट्ठाणों का पूर्ववत् चार विभागों में प्ररूपण होने से संपूर्ण ग्रंथ 24 पट्ठाणों में विभक्त हो जाता है। 14. ऊँच-नीच, रंग-भेद तथा वर्ग-जाति इत्यादि भावना से ऊपर उठ कर सिर्फ मानव धर्म प्ररूपण की प्रधानता रही है अणुव्रत में। 15. इसका एक मुख्य कारणयह है की इसका प्ररूपण सर्वज्ञ-सर्वदर्शी (जिनके ज्ञान से संसार की कोई भी बात छुपी हुई नहीं है. 16. आश्चर्य नहीं जो जैन दृष्टाओं ने इसी प्रकार के कुछ ज्ञान के आधार पर उक्त निगोद जीवों का प्ररूपण किया हो। 17. इसका एक मुख्य कारणयह है की इसका प्ररूपण सर्वज्ञ-सर्वदर्शी (जिनके ज्ञान से संसार की कोई भी बात छुपी हुई नहीं है. 18. नैगम नय जो धर्म और धर्मी में एक को प्रधान और एक को गौण करके प्ररूपण करता है वह नैगम नय है। 19. यह अधिकार में चारित्रमोह की 21 प्रकृतियों का उपशामना का विविध प्रकार से प्ररूपण किया गया हा, जो अन्यत्र अलभ्य है। 20. दूसरे विभाग में 100 दुक हैं और प्रत्येक दुक में विधान ओर निषेध रूप से दो दो विषयों का प्ररूपण किया गया है।