अनुक्रमणिका sentence in Hindi
pronunciation: [ anukermenikaa ]
"अनुक्रमणिका" meaning in English"अनुक्रमणिका" meaning in HindiSentences
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प्रतिलोम वर्णमाला अनुक्रमणिका - Puran explanation - The details about the vedas has been explained here
पुराण विषय अनुक्रमणिका - यहाँ वेदों आदि में आये हुए शब्दों के अर्थ एवं सन्दर्भ दिये हुए हैं। - Index of Mythological Topic- Here meanings and referencess of the words used in vedas and others is explained
पुराण विषय अनुक्रमणिका - यहाँ वेदों आदि में आये हुए शब्दों के अर्थ एवं सन्दर्भ दिये हुए हैं। - Index for epics- Here the meaning of the words in Vedas and the situation at which the incidents happened are narrated.
पुराण विषय अनुक्रमणिका - यहाँ वेदों आदि में आये हुए शब्दों के अर्थ एवं सन्दर्भ दिये हुए हैं। - Index on the subjects of Puraanas - Here the meanings and references have been given for the words that have come in the Vedas.
पुराण विषय अनुक्रमणिका - यहाँ वेदों आदि में आये हुए शब्दों के अर्थ एवं सन्दर्भ दिये हुए हैं। - In Sanskrit also aslant first century M.Swrote Mahabharata in pandu lipi.
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है जिससे यह पता चलता है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था। - In Sanskrit also aslant first century M.Swrote Mahabharata in pandu lipi.
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है जिससे यह पता चलता है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था। - A list of 18 chapters has been found in the ancient MS Spitzer Pandu scripts in sanskrit of the first century.This proves that in this age Mahabharata was written in 18 chapters. Ved Vyas had written the epic in 100 chapters, which was rewritten in 18 chapters by Sutaji when he told the tale to the monks.
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है जिससे यह पता चलता है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था। - A list of 18 chapters has been found in the ancient MS Spitzer Pandu scripts in sanskrit of the first century.This proves that in this age Mahabharata was written in 18 chapters. Ved Vyas had written the epic in 100 chapters, which was rewritten in 18 chapters by Sutaji when he told the tale to the monks.
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है जिससे यह पता चलता है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था। - The oldest sanskrit manusript dating back to the first century by MS Spitzer's Pandulipi acknowledges the existence of 18 parva. It is evident that 18 parva manuscript of Mahabharat was well-known. Perhaps, 100 parva manuscripts must have been prominent in the ancient time as Vyas scripted the Mahabharat, originally as 100 parva, which was later properly categorized to 18 parva by Soothji.
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है जिससे यह पता चलता है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था। - The oldest sanskrit manusript dating back to the first century by MS Spitzer's Pandulipi acknowledges the existence of 18 parva. It is evident that 18 parva manuscript of Mahabharat was well-known. Perhaps, 100 parva manuscripts must have been prominent in the ancient time as Vyas scripted the Mahabharat, originally as 100 parva, which was later properly categorized to 18 parva by Soothji.
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है जिससे यह पता चलता है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था। - Even the first century's MS Spitzer Pandulipi of Sanskrit has references of the list of Mahabharata's 18 holidays which means the till this era the Mahabharata was famous in the form of these 18 holidays. Although the list of 100 holidays must have been quite famous in the ancient times because Mahabharata was first written by Ved vyasa in terms of 100 holidays and which was modiefied and narrated by Sutji as a list of 18 holidays to the rishis.
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है जिससे यह पता चलता है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था। - Even the first century's MS Spitzer Pandulipi of Sanskrit has references of the list of Mahabharata's 18 holidays which means the till this era the Mahabharata was famous in the form of these 18 holidays. Although the list of 100 holidays must have been quite famous in the ancient times because Mahabharata was first written by Ved vyasa in terms of 100 holidays and which was modiefied and narrated by Sutji as a list of 18 holidays to the rishis.
संस्कृत की सबसे प्राचीन पहली शताब्दी की एमएस स्पित्ज़र पाण्डुलिपि में भी महाभारत के १८ पर्वों की अनुक्रमणिका दी गयी है जिससे यह पता चलता है कि इस काल तक महाभारत १८ पर्वों के रुप में प्रसिद्ध थी यद्यपि १०० पर्वों की अनुक्रमणिका बहुत प्राचीन काल में प्रसिद्ध रही होगी क्योंकि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना सर्वप्रथम १०० पर्वों में की थी जिसे बाद में सूत जी ने १८ पर्वों के रुप में व्यवस्थित कर ऋषियों को सुनाया था।
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