1. 3. पापी महादशेश + योगकारक, असंबंधी -अशुभ फल। 2. 1. पापी महादशेश + शुभ अन्र्तदशेश, असंबंधी -अशुभ । 3. 3. दोषयुक्त केन्द्रेश + दोषयुक्त त्रिकोणेश, असंबंधी -अशुभ 4. 4. 1. दोषरहित केन्द्रेश + दोष रहित त्रिकोणेश, असंबंधी -शुभ 2. 5. दोषयुक्त केन्द्रेश + दोषयुक्त त्रिकोणेश, संबंधी-सामान्य 5.दोषयुक्त केन्द्रेश+दोषयुक्त त्रिकोणेश, असंबंधी -अशुभ। 6. लघुपाराशरी के अनुसार महादशानाथ के संदर्भ में अन्तर्दशानाथ को दो मुख्य वर्ग में रख सकते हैं-संबंधी ग्रह, असंबंधी ग्रह। 7. यदि महादशा नाथ और अन्तर्दशानाथ में चतुर्विध संबंधों में से कोई भी संबंध नहीं बनता हो तो उन्हें असंबंधी माना जाएगा। 8. अतः राहु-केतु अशुभ भावों में बैठकर असंबंधी होने पर अशुभ फल देंगे तथा संबंधी होने पर तो अवश्य ही अनिष्ट करेंगे। 9. पाप ग्रह की दशा: लघुपाराशरी के अनुसार पाप ग्रह की महादशा में असंबंधी शुभ ग्रह की अन्तर्दशा हो तो परिणाम अशुभ होते हैं। 10. ऎसी स्थिति में यदि अधिकारी अत्यधिक स " ान हुआ तो और भी अधिक डरेगा इसीलिए पापी महादशेश में असंबंधी योगकारक की अन्तर्दशा में अशुभ परिणाम मिलेंगे।