1. कठिनाई आत्म-वंचना से पैदा होती है । 2. लेकिन इससे ज्यादा बड़ी कोई आत्म-वंचना नहीं हो सकती। 3. इनसर्वोच्चय मानवीय अपेक्षाओं के साथ जुड़ी आत्म-वंचना की गहराई बहु विदितहै. 4. कहीं भी यह ज़िम्मेदार और विश्वसनीय जन-कवि आत्म-वंचना का शिकार होता नज़र नहीं आता। 5. यह आत्म-वंचना सुगम तो है, पर व्यक्ति स्वयं से सत्य से दूर होता चला जाता है। 6. दूसरी ओर वह जनता के दुख, विपन्नता और आत्म-वंचना के लिए ज़िम्मेदार ताक़तों की भी शिनाख़्त करता है- 7. हमारी आत्म-वंचना का चरम यह कि जिसे हम ही नेता बनाते हैं, उसे जी भर कर गालियाँ देते हैं। 8. आत्मविस्मृति अथवा आत्म-वंचना की ओर ले जोनेवाला अथवा राष्ट्र की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाला कोई समझौता उन्हें स्वीकार नहीं हुआ। 9. कब तक तुम्हारी आत्म-वंचना का शिकार होता रहूँगा मैं ……..? मैं न तो भारतीय हूँ, और न ही पाकिस्तानी या अमेरिकन ……. 10. सो, हम राष्ट्र और धर्म के लिए प्राण न्यौछावर करने की दम्भोक्तियाँ भले ही करते रहें किन्तु वह सब हमारा दोगलापन, पाखण्ड और आत्म-वंचना है।