1. आत्मसंरक्षण उसका एक दूसरा परम मूल्य है जिसमें व्यक्तिवाद भी स्थापित होता है।2. अत: आत्मसंरक्षण की दृष्टि से विवाह की संस्था की उत्पत्ति हुई है। 3. आत्मसंरक्षण उसका एक दूसरा परम मूल्य है जिसमें व्यक्तिवाद भी स्थापित होता है।4. मंगल से जुड़ी उग्रता उसके आत्मसंरक्षण , संवध्र् ान की मूल वृत्ति में ही निहित है। 5. तो इसमें क्या यह अभिप्रेत नहीं है कि यह आत्मसंरक्षण का एक सर्वथा रेडिकल ढंग है? 6. हमारी जीवित रहने की इच्छा और आत्मसंरक्षण की भावना हमें इससे दूर रहने पर मजबूर कर देती है. 7. आदिम आर्थिक विकास ने अपरिचितोंके प्रति विरोध की मनोवृत्ति को पुष्ट किया, जो आत्मसंरक्षण के लिएआवश्यक समझी गई थी. 8. हमारी जीवित रहने की इच्छा और आत्मसंरक्षण की भावना हमें इससे दूर रहने पर मजबूर कर देती है. 9. दीपेन्द्र: भय में आत्मसंरक्षण और आत्मसुरक्षा का भाव तो है, पर भावावेश की स्थितियों में उसमें एक तरह की यथार्थनिरपेक्षता भी दिखती है। 10. अस्तित्व, आत्मसंरक्षण और व्यवस्था व निश्चितता की चाह इंसानी की जरूरत है और यह जीवन के मूल्य की परोक्ष मान्यता से संचालित होती है।