आध्यमान sentence in Hindi
pronunciation: [ aadheymaan ]
"आध्यमान" meaning in EnglishSentences
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- वातानुबन्धी अम्ल-पित्त के लक्षणउदरशूल, शरीर में झनझनाहट, लोमहर्ष, तमप्रवेश, कम्प, प्रलापमूर्च्छा-गात्रशैथिल्य, आध्यमान जृम्भा.
- उदर में वायु एकत्र होने से आध्यमान (अफारे) की विकृति होती है।
- पोदीना के ५ मिलीलीटर रस में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर सेवन कराने से आध्यमान (अफारा) ठीक हो जाता है।
- यह सब जानते हैं कि दालों के अधिक खाने से आध्यमान या पेट की गैस बनने की स्थिति आ जाती है।
- खरैटी के मिश्रण के साथ अरण्डी का तेल गर्मकर पीने से आध्यमान, दर्द, आंत्रवृद्धि व गुल्म खत्म होती है।
- आध्यमान, और ग्रह पीड़ा, एवं सर्व प्रकार की ग्रहों की शाँती करने वाली है | विशेषकर विषनाशक एवं कोठे को
- पेट में आध्यमान (गैसेस) की स्थिति में भी महाप्राचीरा पेशी डायाफ्राम पर दबाव पडने से छाती में दर्द व भारीपन हो सकता है।
- पोदीने का रस ५ ० मिलीलीटर, मिश्री ५ ग्राम और २ ग्राम यवक्षार मिलाकर खाने से आध्यमान (अफारा, गैस) दूर हो जाता है।
- आध्यमान (अफारा) यानी (पेट में गैस का बनना) वायु के इकट्ठा होने से पेट के फूलने के कारण पेट में कब्ज़ पैदा हो जाती है।
- चिकित्सकों के अनुसार अधिक मात्रा में भोजन करने, बाजारों में अधिक तेल-मिर्च, गर्म मसालों का सेवन करने से पाचन क्रिया की विकृति के साथ आध्यमान की बढ़ोत्तरी होती है।
- आध्यमान (अफारा) या वायु के इकट्ठा होने से पेट में दर्द, जी मिचलाना, श्वास (सांस) लेने में कष्ट के साथ ही रोगी को बहुत घबराहट होती है।
- 74 अफारा (गैस का बनना):-अदरक 3 ग्राम, 10 ग्राम पिसा हुआ गुड़ के साथ सेवन करने से आध्यमान (अफारा, गैस) को समाप्त करता है।
- बेर स्वादिष्ट, भारी, ग्राही, लेखन, चिकना, मलावरोधक और आध्यमान कारक (पेट फूलना) होता है तथा जलन, पित्त, वायु, थकान और सूजन को खत्म करता है।
- जायफल का तेल उत्तेजक, बल्य और अग्निप्रदीपक होता है और जीर्ण अतिसार, आध्यमान, आक्षेप, शूल, आमवात, दांतों से पस आना और वृण (घाव) आदि व्याधियों को नष्ट करने वाला वाजीकारक है।
- छोटा अनाज, पुराना शालि चावल, रसोन, लहसुन, करेला फल, शिग्रु, पटोल के पत्ते, फल और बथुआ आदि आध्यमान (अफारा) से पीड़ित रोगी इन सभी का प्रयोग खाने में कर सकते हैं।
- कभी-कभी भूख न लगना, गलत-खान पान और लापरवाही आदि के कारण पेट में दूषित वायु इकट्ठी हो जाती है, जो आध्यमान या अफारा को पैदा करती है, इसके परिणामस्वरूप पेट की नसों में खिंचाव महसूस होने लगता है।
- प्रलाप के साथ अनियमित बुखार, सर्वांग वेदना, जम्हाई, स्वादहीनता, ठंडक के प्रति अरुचि, गर्मी के प्रति रूझान उत्पन्न होना, दांत किटकिटाना, रूक्षता, अनिद्रा, आध्यमान और शरीर में स्तब्धता होना, यह वातिक सूतिका ज्वर के लक्षण हैं।
- 15 दिन बाद इसे छानकर बोतल में भर लें, आवश्यकतानुसार इस मिश्रण को 6-10 ग्राम तक लगभग 30 मिलीलीटर पानी में मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से पाण्डु (पीलिया), मंदाग्नि (पाचन क्रिया खराब होना), अजीर्ण (भूख न लगना), आध्यमान, कब्ज और पेट में दर्द आदि पेट से सम्बंधित रोग दूर हो जाते हैं।
- आध्यमान (पेट के फूलने) पर: अडूसे की छाल का चूर्ण 10 ग्राम, अजवायन का चूर्ण 2.5 ग्राम और इसमें 8 वां हिस्सा सेंधानमक मिलाकर नींबू के रस में खूब खरलकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर भोजन के पश्चात 1 से 3 गोली सुबह-शाम सेवन करने से वातजन्य ज्वर आध्मान विशेषकर भोजन करने के बाद पेट का भारी हो जाना, मन्द-मन्द पीड़ा होना दूर होता है।
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