1. उद्दीपन की उपस्थिति तथा (3) आलंबक या वाहिका ( 2. आलंबक रचनाओं के क्षतिग्रस्त होने से भी तंत्रिकातंत्र में पक्षाघात या क्षोभ होता है।3. आलंबक रचनाओं के क्षतिग्रस्त होने से भी तंत्रिकातंत्र में पक्षाघात या क्षोभ होता है।4. आलंबक रचनाओं के क्षतिग्रस्त होने से भी तंत्रिकातंत्र में पक्षाघात या क्षोभ होता है।5. आलंबक , संरक्षक और पोषक ऊतकों में रोग उत्पन्न होकर तंत्रिका कोशिकाओं में फैल सकते हैं।6. आलंबक , संरक्षक और पोषक ऊतकों में रोग उत्पन्न होकर तंत्रिका कोशिकाओं में फैल सकते हैं।7. आलंबक , संरक्षक और पोषक ऊतकों में रोग उत्पन्न होकर तंत्रिका कोशिकाओं में फैल सकते हैं।8. इस प्रकार की क्षति या तो सीधे चोट लगने से, अथवा आलंबक रचनाओं में औपसर्गिक शोथ के प्रसार के कारण, होती है। 9. इस प्रकार की क्षति या तो सीधे चोट लगने से, अथवा आलंबक रचनाओं में औपसर्गिक शोथ के प्रसार के कारण, होती है। 10. इस प्रकार की क्षति या तो सीधे चोट लगने से, अथवा आलंबक रचनाओं में औपसर्गिक शोथ के प्रसार के कारण, होती है।