1. कुरूक्षेत्र युद्ध के बाद भगवान कृष्ण ने कर्ण का दाह संस्कार कर्णशिला पर अपनी हथेली का संतुलन बनाये रखकर किया था। 2. कुरूक्षेत्र युद्ध के बाद भगवान कृष्ण ने कर्ण का दाह संस्कार कर्णशिला पर अपनी हथेली का संतुलन बनाये रखकर किया था। 3. कुरूक्षेत्र युद्ध के बाद भगवान कृष्ण ने कर्ण का दाह संस्कार कर्णशिला पर अपनी हथेली का संतुलन बनाये रखकर किया था। 4. किंबदंती अनुसार आज जहां मंदिर है वह स्थान कभी जल के अंदर था और कर्णशिला नामक चट्टान की नोक ही जल के ऊपर उदित थी। 5. किंबदंती अनुसार आज जहां मंदिर है वह स्थान कभी जल के अंदर था और कर्णशिला नामक चट्टान की नोक ही जल के ऊपर उदित थी। 6. कुरूक्षेत्र की युद्ध समाप्ति के बाद भगवान कृष्ण ने कर्ण का दाह संस्कार अपनी हथेली पर किया था जिसे उन्होंने संतुलन के लिये कर्णशिला की नोंक पर रखा था। 7. कुरूक्षेत्र की युद्ध समाप्ति के बाद भगवान कृष्ण ने कर्ण का दाह संस्कार अपनी हथेली पर किया था जिसे उन्होंने संतुलन के लिये कर्णशिला की नोंक पर रखा था। 8. एक किंबदंती के अनुसार आज जहां कर्ण को समर्पित मंदिर है, वह स्थान कभी जल के अंदर था और मात्र कर्णशिला नामक एक पत्थर की नोक जल के बाहर थी। 9. एक किंबदंती के अनुसार आज जहां कर्ण को समर्पित मंदिर है, वह स्थान कभी जल के अंदर था और मात्र कर्णशिला नामक एक पत्थर की नोक जल के बाहर थी। 10. एक किंबदंती के अनुसार आज जहां कर्ण को समर्पित मंदिर है, वह स्थान कभी जल के अंदर था और मात्र कर्णशिला नामक एक पत्थर की नोक जल के बाहर थी।