गौतम के न्यायसूत्रों में पहले सूत्र में ही 16 विचारविषयों का वर्णन हुआ है, जिसके यथार्थ ज्ञान से नि:श्रेयस की प्राप्ति होती है।
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गौतम के न्यायसूत्रों में पहले सूत्र में ही 16 विचारविषयों का वर्णन हुआ है, जिसके यथार्थ ज्ञान से नि:श्रेयस की प्राप्ति होती है।
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धर्म विशेष में द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष तथा समवाय के साधर्य और वैधर्म्य के ज्ञान द्वारा उत्पन्न ज्ञान से नि:श्रेयस की प्राप्ति होती है।
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गौतम ने सोलह पदार्थों के तत्त्वज्ञान से नि: श्रेयस की प्राप्ति का उल्लेख किया, जबकि कणाद छ: पदार्थों के साधर्म्य-वैधर्म्यपरक तत्त्वज्ञान को नि:श्रेयस का साधन बताते हैं।
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यद्यपि सूत्रकार कणाद के अनुसार पदार्थों की पारस्परिक समानता और पारस्परिक पृथक्ता का बोध ही तत्त्वज्ञान है, जिससे अभ्युदय और नि:श्रेयस की प्राप्ति हो सकती है, फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि विशेष के पदार्थत्व का आख्यान करके सूत्रकार ने भी वस्तुओं के
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देखो, इस उद्यान के जो पापरूपी जीर्ण पत्ते हैं, वे अब गिर चुके हैं, पुण्यरूपी पत्तों से ;नवकिशलयों सेद्ध युत्तफ, यह सुन्दर भत्तिफ लता पफैली हुई है, और यहाँ भगवाम् रूपी जप के शब्दरूपी कलिकायें भी उग चुकी है, और सद्वासनारूपी पुष्प सुशोभित हो रहे हैं, तथा ज्ञान व आनन्द रूपी सुधरस की लहरों वाले संवित्पफल, अर्थात् परम पुरुषार्थरूप मोक्ष पफल भी, ऊपर दिखाई दे रहे हैं, इसलिए इस अभ्युदय तथा नि:श्रेयस की सुन्दर वाटिका में परिभ्रमण करो।
What is the meaning of नि:श्रेयस in English and how to say ni:shreyas in English? नि:श्रेयस English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.